हिमाचल प्रदेश

नेचुरल फार्मिंग: इसलिए आचार्य देवव्रत ने थपथपाई देवभूमि के किसानों की पीठ, पढ़ें पूरी खबर

Gulabi Jagat
2 Jun 2022 4:37 PM GMT
नेचुरल फार्मिंग: इसलिए आचार्य देवव्रत ने थपथपाई देवभूमि के किसानों की पीठ, पढ़ें पूरी खबर
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हिमाचल प्रदेश
शिमला: पूर्व में हिमाचल के राज्यपाल रहे आचार्य देवव्रत गुरुवार को शिमला में थे. गुजरात के राज्यपाल का कार्यभार संभाल रहे आचार्य देवव्रत अपनी ड्रीम प्रोजेक्ट प्राकृतिक खेती को लेकर एक बार फिर शिमला आकर भावुक हुए. उन्होंने प्राकृतिक खेती में कदम बढ़ा रहे हिमाचल के किसानों की पीठ थपथपाई और कहा कि गुजरात में भी यह अभियान खूब सफल हो रहा है. आचार्य देवव्रत ने कहा कि हिमाचल के किसान को अपने अनुभवों को देशभर के किसानों के साथ साझा करने चाहिए. गुरुवार को शिमला में स्टेट गेस्ट हाउस पीटरहॉफ में एक आयोजन को संबोधित करते हुए आचार्य देवव्रत ने कहा कि प्राकृतिक खेती भविष्य की खेती है. कार्यक्रम में हिमाचल के कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर भी मौजूद थे उन्होंने आचार्य देवव्रत को अब तक हिमाचल में प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में हुई प्रगति की जानकारी दी.
प्रदेश में एक लाख 71 हजार किसान इस विधि को अपना रहे हैं. अपने संबोधन में आचार्य देवव्रत ने कहा कि हिमाचल के प्राकृतिक खेती करने वाले किसान अब गुजरात सहित अन्य राज्यों में मास्टर ट्रेनर की भूमिका निभाएंगे. उन्होंने मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री और प्राकृतिक खेती से जुड़े अधिकारियों के प्रयासों की सराहना भी की. उन्होंने कहा कि नेचुरल फार्मिंग से लोगों में रसायनमुक्त और पोषणयुक्त खाद्यान के प्रति जागरूकता बढ़ गई है. आचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें देश भर में प्राकृतिक खेती के प्रसार के लिए मास्टर ट्रेनर तैयार करने की जिम्मेदारी दी है. इसके लिए हिमाचल के किसानों की जरूरत पड़ेगी। देश में इस खेती आंदोलन को बढ़ावा देंगे।

इस मौके पर संबोधित करते हुए कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि हिमाचल के किसान ज्यादा उत्पादन लेने के लिए रसायन का प्रयोग करते हैं. इसका दुष्प्रभाव मिट्टी की घटती गुणवत्ता और मानव स्वास्थ्य में पड़ रहे दुष्प्रभाव के रूप में देखने को मिल रहा है. आचार्य देवव्रत की पहल पर मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि इन किसानों के उत्पादों को बाजार मुहैया करवाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। कई किसानों ने अपने स्तर पर ऐसे उत्पादों की ब्रांडिग और मार्केटिग का इंतजाम किया है. कार्यक्रम में कई किसानों ने भी अपने विचार सांझा किये.
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