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गगरेट। औद्योगिक क्षेत्र जीतपुर बेहड़ी में पांच सौ करोड़ रुपए के निवेश से प्रस्तावित एचपीसीएल के इथेनाल प्लांट के लिए अलग से सडक़ मार्ग व रेलवे ट्रैक बिछाने के लिए शुरू हुई भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया ने ही यहां के वाशिंदों की पेशानी पर बल डाल दिए हैं। लोगों की दलील है कि औद्योगिक क्षेत्र जीतपुर बेहड़ी के लिए पहले ही दो-दो सडक़ मार्ग आते हैं। यही नहीं बल्कि नया सडक़ मार्ग निकालने के लिए पहले ही सर्वेक्षण हो चुका है लेकिन अब उसे दरकिनार कर ऐसे स्थानों से नया सडक़ मार्ग व रेलवे ट्रैक निकालने को प्रयास हो रहे हैं जहां आबादियां हैं। पहले भी गांव के लोगों की काफी जमीन अंब-दौलतपुर चौक रेलवे ट्रैक के अधीन आ गई है। अगर अब फिर से भूमि का अधिग्रहण हुआ तो कई भू-मालिक तो भूमिहीन हो जाएंगे। यहां के वाशिंदों ने प्रदेश सरकार से भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया से पहले गांववासियों को विश्वास में लेने की मांग की है। ग्राम पंचायत लोअर भंजाल के अधीन आने वाले जीतपुर बेहड़ी के नरिंदर सिंह, रोहित , यशपाल , सुभाष , जगजीवन , रेणु , बीना , वकील सिंह, विपिन , पूर्ण , गुलशन , शिवा , पंकज सहित कई गांववासियों ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के लिए उन पर बेवजह दवाब बनाया जा रहा है। औद्योगिक क्षेत्र जीतपुर बेहड़ी के लिए पहले से ही दो सडक़ मार्ग हैं।
हालांकि इथेनाल प्लांट के लिए पहले कुनेरन पुल से सीधा जीतपुर बेहड़ी को सडक़ मार्ग बनाने के लिए भूमि का सर्वेक्षण हुआ। उद्योग विभाग ने सारी प्रक्रिया पूरी करके फाइल संस्तुति के लिए प्रदेश सरकार को भेज दी। अब उसे दरकिनार कर नए सिरे से भूमि का सर्वेक्षण किया गया है। अगर यहां से सडक़ मार्ग के साथ रेलवे ट्रैक निकला तो दो रिहायशी मकान, चार पशुशालाएं, एक डेयरी फार्म, एक पोल्ट्री फार्म, एक उद्योग का शेड व एक क्रशर उद्योग भी भूमि के साथ इसकी जद में आएगा। साथ में लोगों की उपजाऊ भूमि भी चली जाएगी। इसलिए प्रदेश सरकार किसी के दवाब में न आए बल्कि गांववासियों की आवाज को भी सुना जाए। अन्यथा गांववासियों इसके विरोध में उग्र आंदोलन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। वहीं पूर्व विधायक राजेश ठाकुर ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में जब इथेनाल प्लांट स्वीकृत हुआ था तो कुनेरन पुल से सडक़ के लिए भी सर्वेक्षण हो गया था। अब चंद लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए रिहायशी इलाकों से सडक़ व रेलवे ट्रैक निकालना तर्कसंगत ही नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे।
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Shantanu Roy
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