हिमाचल प्रदेश

गुशैणी में हूम उत्सव की धूम, माता गाड़ा दुर्गा ने तीर्थन नदी में किया शाही स्नान

Shantanu Roy
15 Sep 2023 10:19 AM GMT
गुशैणी में हूम उत्सव की धूम, माता गाड़ा दुर्गा ने तीर्थन नदी में किया शाही स्नान
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कुल्लू। जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार में तीर्थन घाटी की देव संस्कृति और सभ्यता बहुत ही प्राचीन और समृद्ध है। यहां पूरे साल भर अनगिनत मेलों, त्यौहारों और धार्मिक उत्सवों का आयोजन होता रहता है जो यहां की समृद्ध पहाड़ी संस्कृति को बखूबी दर्शाता है। ये सांस्कृतिक मेले और त्यौहार यहां के लोगों के हर्ष, उल्लास, श्रद्धा और खुशी का प्रतीक हैं। आज तीर्थन घाटी के केन्द्र बिन्दु गुशैणी में हर वर्ष की भान्ति तीन कोठी की आराध्य देवी माता गाड़ा दुर्गा का प्राचीनतम हूम उत्सव हर्षोल्लास से मनाया गया। इस मेले में हजारों की संख्या में स्थानीय लोगों के अलावा कुछ बाहरी राज्यों के पर्यटकों ने भी हिस्सा लिया और माता का आशीर्वाद लिया।
तीर्थन घाटी का यह हूम मेला हर साल भादों माह की अमावस्या के दौरान गुशैणी में प्राचीन समय से मनाया जाता रहा है। इस पर्व के दौरान तीन कोठी की आराध्य देवी माता गाड़ा दुर्गा की पालकी को लाव लश्कर व वाद्य यंत्रों की थाप पर बंदल शर्ची से प्राचीन मन्दिर गुशैणी लाया गया, जहां पर मन्दिर प्रांगण में विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना, हवन पाठ और यज्ञ करने के बाद अन्य प्राचीनतम देव परम्पराओं का निर्वहन किया गया। इसके पश्चात यहां से माता की पालकी को तीर्थन नदी के दाहिने छोर पर शाही स्नान के लिए लाया तथा तीर्थन नदी की पवित्र जलधारा में शाही स्नान करवाया गया।
स्थानीय लोगों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक प्राचीनकाल में माता एक कन्या रूप में अवतरित हुईं थीं और आज के दिन इसी स्थान पर तीर्थन नदी में छलांग लगाकर लुप्त हो गईं और इसके पश्चात शलवाड़ नामक स्थान पर एक मूर्ति के रुप में प्रकट हुईं थीं। उस दौरान आकाशवाणी हुई थी कि मैं दुर्गा के रूप में अवतरित हुई हूं और गुशैणी में मेरा मंदिर बनाया जाए। तब उस समय लोगों ने गुशैणी में मन्दिर का निर्माण करके माता की परस्त प्रतिमा को स्थापित किया है। तीर्थन नदी को स्थानीय भाषा में गाड़ कहते हैं। नदी यानी गाड़ से उत्पन्न और अवतरित होने के कारण ही माता को गाड़ा दुर्गा के नाम से पूजा जाने लगा और गुशैणी नामक स्थान पर यह हूम पर्व हर साल मनाया जाता है। साल भर में एक बार मनाए जाने वाले इस उत्सव के दौरान तीन कोठी के स्थानीय बाशिंदों के आलावा बाहरी राज्यों के सैलानियों ने भी शिरकत की है। पर्यटकों ने बताया कि इस अनोखे उत्सव को देखकर इन्हें बहुत ही अच्छा लगा। वे करीब चार दिनों से तीर्थन घाटी में रुके हैं, यहां पर सब सामान्य हो चला है। हालांकि भारी बारिश के कारण यहां बहुत नुक्सान हुआ है लेकिन अब यहां पर आने-जाने में कोई भी दिक्कत नहीं है।
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