हिमाचल प्रदेश

हिमाचल के 80% लोगों के दांत्त खराब, ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा मरीज

Shantanu Roy
10 Oct 2023 11:31 AM GMT
हिमाचल के 80% लोगों के दांत्त खराब, ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा मरीज
x
शिमला। प्रदेश में दांत्तों की दर्द से हर कोई परेशान है। सरकारी अस्पताल की भीड़ के कारण लोग हजारों रुपए खर्च कर निजी अस्पतालों का रुख करने के लिए मजबूर है। हाल ही में एक आंकड़े के अनुसार देश के करीब 80 प्रतिशत लोग दांत्तों की बीमारियों से ग्रस्त है, जिसमें हिमाचल में भी करीब 85 प्रतिशत लोग दांत्तों की बीमारी की चपेट में है, जिसमें बच्चे भी शामिल है। बच्चों की संख्या की बात करे तो करीब 40 प्रतिशत बच्चे दांत्तों के रोगी हैं। दांतों से सबंधित बहुत सी बिमारियां है। लेकिन उनके ईलाज करने की बात करे तो निजी अस्पतालों में इसके लाखों के ईलाज होते हैं। वहीं सरकारी अस्पतालों में यह उपचार मात्र 500 रुपए में हो जाते है। दांत्तों में सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों के लोग ग्रस्ति है और गांव के लोग दांत्तों का उपचार करने भी नहीं जाते है।
यदि जाते भी है, तो वह छोटे-मोटे क्लीनिक में अपना उपचार करवाते है। इसमें इनको भारी भरकम रकम भी चुकानी पड़ती है। ग्रामीण क्षेत्रों में जो अस्पताल है, वहां पर दंत्त चिकित्सक ही नहीं होते है और जहां हैं वहां पर भी एक ही चिकित्सक है। राजधानी के सबसे बड़े डेंटल अस्पताल में करीब सात चिकित्सक है। हांलाकि यहां पर प्रशिक्षुओं की कमी नहीं है, जो एक साल तक अस्पतालों में सेवा देते है। लेकिन चिकित्सकों की पोस्ट की बात की जाए तो यहां पर नाम मात्र ही चिकित्सक है। आईजीएमसी में करीब 30 चिकित्सकों की कमी भी है। रविवार को डेंटल के कमीशन के पेपर भी थे। यह पेपर करीब छह साल बाद हुए है, जिसमें हजारों प्रशिक्षुओं ने भाग लिया है। कुछ विद्यार्थियों ने तो 14 साल बाद भी यह पेपर दिया है। छात्रों का कहना है कि दो-दो बार कमीशन निकाल लिया है, लेकिन चिकित्सक की पोस्ट नहीं भरी जा रहे है। सरकारी अस्पताल में यदि दांत्तों की सफाई करवानी हो तो सिर्फ 50 रुपए में हो जाती है। निजी अस्पताल में दांत्तों की सफाई के लिए करीब 1000 रुपए खर्च करने पड़ते है। यही कारण है कि गरीब लोग अपने दांत्तों को स्वास्थ रखने के लिए कोई खास अहमियत नहीं देते है।
Next Story