हरियाणा

कपड़ा निर्यात में गिरावट आने से तीन फैक्टरी हुई बंद

Admin Delhi 1
20 May 2023 10:30 AM GMT
कपड़ा निर्यात में गिरावट आने से तीन फैक्टरी हुई बंद
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गुडगाँव न्यूज़: कपड़ा और ऑटोमोबाइल सेक्टर में निर्यात में गिरावट आ रही है. इससे शहर में गारमेंट की बड़ी कंपनियों में से एक शिवालिक प्रिंट की तीन फैक्टरी बंद हो गई है. इससे एक हजार से ज्यादा कर्मचारियों की नौकरियां जाने की भी सूचना है. जानकारों की माने तो यूरोप और अमेरिका की मार्केट में सुस्ती की वजह से गारमेंट ऑर्डर में 40 प्रतिशत तक की कमी आई है.

शहर में शाही एक्सपोर्ट, शिवालिक प्रिंट्स, वामानी सहित छोटी-बड़े 250 कंपनियां गारमेंट सेक्टर में काम कर रही हैं. यहां से यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों में गारमेंट निर्यात किया जाता है. लेकिन पिछले कुछ महीनों से गारमेंट सेक्टर के हालात ठीक नहीं चल रहे हैं. ऑर्डर में गिरावट होने से कई फैक्टरियों में कर्मचारियों की संख्या में भी कमी आ रही है.

शिवालिक प्रिंट्स के प्रबंध निदेशक नरेंद्र अग्रवाल बताते हैं कि बाहर से ऑर्डर की संख्या में कमी आई है. जब ऑर्डर नहीं मिलेगा तो कामकाज बंद करना पड़ेगा. उन्होंने बताया कि ऑर्डर कम मिलने के कारण सेक्टर-24 की तीन फैक्टरियों में कामकाज बंद करना पड़ा है. उधर, गारमेंट सेक्टर की कंपनी ‘टॉय बलैून’ की प्रबंध निदेशक कल्पना बताती हैं कि एक तो बाहर के बाजारों में मांग में कमी आई है. इस वजह से ऑर्डर कम मिल रहे हैं. दूसरा, कर्मचारियों के वेतन-भत्ते बढ़ रहे हैं तो ऑर्डर लेते वक्त खर्चों का भी ध्यान रखना पड़ता है. बांग्लादेश में कर्मचारियों के वेतन पर यहां के मुकाबले कम खर्च होता है.

135 से ज्यादा फैक्टरियों से होता है निर्यात शहर में 135 से ज्यादा फैक्टरी संचालक निर्यात करते हैं. यहां से गारमेंट, ऑटोमोबाइल पार्ट, टैक्सटाइल, फर्नीचर, हैंडलूम, रबड़ आइटम, मशीनरी, पेपर, प्रिंटिंग मशीन सहित कई तरह के उत्पाद निर्यात किए जाते हैं.

ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी कमी दर्ज हो रही

पिछले कुछ समय से वाहनों के पार्ट निर्यात में गिरावट आई है. सेक्टर-छह में वाहनों के पुर्जे बनाने वाली इंडिकेशन इंस्ट्रयूमेंट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विशाल ललानी बताते हैं कि कोरोना काल में निर्यात के ऑर्डर काफी थे, लेकिन अब पिछले कुछ समय से गिरावट है. इसकी दो वजह हो सकती हैं. एक तो कोरोना काल में बाहरी ग्राहकों ने जरूरत से ज्यादा माल मंगाकर रख लिया और उन्हें माल की जरूरत न पड़ रही हो. या फिर यूरोप और अमेरिकी की अर्थव्यवस्था में पहले के मुकाबले सुस्ती होना भी हो सकता है.

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