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बड़खल झील को संवारने का काम रफ्तार नहीं पकड़ रहा, दो बार निविदाएं रद्द हो चुकीं

Admin Delhi 1
8 April 2023 1:36 PM GMT
बड़खल झील को संवारने का काम रफ्तार नहीं पकड़ रहा, दो बार निविदाएं रद्द हो चुकीं
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हिसार न्यूज़: बड़खल झील के जीर्णोद्धार के कार्य की गति धीमी है. इसके चलते तय तिथि पर सितंबर तक काम पूरा होने की उम्मीद कम है.

बड़खल झील के बांध के जीर्णोद्धार का काम अभी करीब 40 फीसदी हुआ है और इसे सितंबर से पहले पूरा करना है. फिलहाल बड़खल झील के जीर्णोद्धार कार्य में बांध बनाने और झील में पानी पहुंचाने के लिए पाइप लाइन बिछाने का काम चल रहा है. बीते दिनों जिलाधीश ने मौके पर जीर्णोद्धार कार्य की समीक्षा करते हुए कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए. इसके बाद भी जीर्णोद्धार का काम रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है. बड़खल झील के बांध का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण मुंबई के मैरिन ड्राइव की तर्ज पर किया जाएगा. इसके अलावा बांध के सामने करीब डेढ़ एकड़ जमीन में एक बड़ी पार्किंग जहां करीब 500 गाड़िया एक साथ पार्क की जा सकेंगी. करीब दो दशक से सूखी और उजाड़ पड़ी बड़खल झील के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण का इंतजार लगातार लंबा हो रहा है. बड़खल के जीर्णोद्धार की कवायद वर्ष 2015 के शुरुआत में हुई थी. लेकिन करीब आठ साल के लंबी कवायद के बाद भी झील के जीर्णोद्धार का काम गति नहीं पकड़ सका है.

पानी के लिए एसटीपी तैयार

बड़खल झील को पानी से भरने के लिए सेक्टर-21 में एक एसटीपी लगाया गया है, जो तैयार हो चुका है और अब पाइपलाइन बिछाने का काम किया जा रहा है. उम्मीद की जा रही है कि अगले महीने मई में पानी झील में पहुंचना शुरू हो जाएगा. एसटीपी से करीब 10 एमएलडी पानी प्रतिदिन झील तक पहुंचेगा.

बड़खल झील का जीर्णोद्धार कार्य अब तेजी पकड़ चुका है. उम्मीद की जानी चाहिए कि सितंबर तक जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण का काम पूरा होगा.

-अरविंद, उपमहाप्रबंध, एफएससीएल

कभी बजट, कभी वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र पर विवाद तो कभी कोरोना के कारण बड़खल झील के जीर्णोद्धार का काम बीते वर्ष शुरू किया गया था. फरीदाबाद स्मार्ट सिटी लिमिटेड को करीब दो बार इसकी निविदाएं रद्द करनी पड़ी थी. निर्माता कंपनियों ने बजट संबंधी समस्याओं को लेकर आगे नहीं आई. काफी दिनों तक मंथन किया जाता रहा कि आखिर झील में पानी कहां से आएगा और पानी रूकेगा कैसे? इसके लिए कई विशेषज्ञों से विमर्श किया गया और परियोजना तैयार की गई. साथ ही प्रशासनिक विभागों की लारवाही के कारण केंद्रीय वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी देरी से मिला. विभागों ने पहले इसकी आवश्यकता नहीं समझी. फिर केंद्रीय मंत्रालय में चर्चा हुई तो केंद्र सरकार ने इसके लिए वन मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं होने के कारण रोक लगी.

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