गुडगाँव न्यूज़: भारत की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण के लिए मंदिरों से जनजागरण अभियान शुरू होगा. इसके तहत सनातन धर्मशास्त्रत्तें का संरक्षण और उनके पठन-पाठन में समाज की भागरीदारी और समाज में छुआछूत जैसी कुरीतियों को समाप्त करने के लिए पुरोहित वर्ग महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा.
भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए हमेशा की तरह पुरोहित वर्ग महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. ऐसे प्रस्ताव को यहां सेक्टर-29 स्थित सामुदायिक भवन में चल रहे भारतीय पुरोहित परिषद के महामिलन उत्सव-2023 के दूसरे दिन ज्योतिषाचार्य पंड़ित तरुण भटटाचार्य द्वारा पारित किए गए. जिन्हें त्रिपुरा, आसाम, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल, मेघालय, भूटान, सिकिम्म, पश्चिम बंगाल, ओडीशा, झारखंड, बिहार, पूर्वी उत्तर-प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा और दिल्ली से आए श्रीकाली पूजा पुरोहित संगठनों के प्रतिनिधियों ने एक स्वर में सामूहिक सहमति से पारित किया.
इसका शुभारंभ प्रमुख चिकित्सक डॉ. प्रबल राय ने किया. पूर्वोत्तर राज्यों में समेत करीब 17 राज्यों से आए करीब 90 पुरोहितों ने मंत्रोच्चरण के साथ सप्तशती पाठ किया. इस महामिलन उत्सव के संयोजक पंडित तरुण भटटाचार्य ने बताया कि इस सम्मेलन में जो भी प्रस्ताव पास किए गए हैं, उनसभी को केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय और देश के सभी पुरोहित संगठनों को भेजे जाएंगे. सम्मेलन में जो निर्णय लिए गए हैं उनमें आधुनिक समाज में मंदिरों की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की गई.
पुरोहित वर्ग सेवा और मंदिरों के रखरखाव के माध्यम से हिंदू परंपराओं, संस्कृति, शास्त्रत्तें और संतों के कालातीत ज्ञान को फैलाने में मदद कर सकते हैं. भारत की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण महत्वपूर्ण है. दूसरे दिन में प्रो.सुभास राय, प्रो. बिश्वस्वरुप गोस्वामी,अनंत देवनाथ, सुबोध भटटाचार्य, देवविजय भटटाचार्य, अरविंद, अमर चक्रबर्ती, सुब्रतो चक्रबर्ती, रबिंद्रनाथ बनर्जी, भ्रीगू पांडा, सुब्रतो भटटाचार्य, शंभूनाथ, पारथा चक्रबर्ती आदि ने संबोधित किया.