मिलेनियम सिटी में फैली गंदगी से स्वच्छता रैंकिंग पर असर पड़ेगा
गुडगाँव न्यूज़: स्वच्छ सर्वेक्षण की तैयारियों को लेकर किए जा रहे दावों की हकीकत ग्राउंड पर बिल्कुल उलट है. शहर में काफी जगहों पर गंदगी के ढेर लगे हुए हैं, नियमित रूप से सफाई नहीं होने से स्थानीय नागरिक भी परेशान हैं.
नगर निगम द्वारा हर साल सफाई पर लगभग 200 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं, फिर भी शहर स्वच्छ नजर नहीं आ रहा है. निगम सूत्रों के अनुसार इस सप्ताह शहर में स्वच्छ सर्वेक्षण की टीम शहर में सफाई व्यवस्था को लेकर औचक निरीक्षण कर सकती है. बावजूद इसके इस बार निगम की तरफ से सर्वेक्षण को लेकर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. शहर में गंदगी लगे ढेरों से अनुमान लगाया जा सकता है कि निगम अधिकारी इस बार स्वच्छ सर्वेक्षण को लेकर कितना गंभीर है.
सफाई व्यवस्था पर हर साल खर्च होते हैं 200 करोड़ शहर में सफाई कार्य करने वाली निजी एजेंसियों को सालाना 150 करोड़ का भुगतान नगर निगम की तरफ से किया जाता है. लेकिन कागजों में ही सफाईकर्मी दिखाकर गड़बड़झाला किया जा रहा है. स्वच्छ सर्वेक्षण में नंबर वन रैंक छोड़िए, टॉप दस शहरों की सूची में भी शूमार होने के लिए प्रयास करने होंगे. घर-घर से कचरा एकत्रित करने, गीला व सूखा कचरा अलग-अलग होने, वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगने आदि मानकों पर पिछड़ने के कारण शहर की रैंकिग प्रभावित हो सकती है, लेकिन इस बार निगम अधिकारी इसको लेकर जरा भी गंभीर नहीं है. लगातार हो रहे भुगतान के बावजूद शहर में सफाई व्यवस्था पूर तरह से चरमरा गई है. लोगों गंदगी से कम उससे होने वाली बीमारियों से ज्यादा खतरा है. ऐसे में शिकायत के बावजूद कोई समाधान नहीं हो रहा.
इन जगहों पर लगे हैं कचरे के ढेर शहर में खांडसा अनाज मंडी के नजदीक दिल्ली-जयपुर हाईवे की सर्विस लेन, कादीपुर, न्यू कालोनी, सेक्टर चार व सात, राजेंद्रा पार्क, लक्ष्मण विहार, सेक्टर -10, सेक्टर-37, हीरा नगर, पटौदी रोड, खेड़कीदौला गांव क्षेत्र, शांति नगर, शिवाजी नगर, झाड़सा, जलविहार कालोनी सेक्टर-46 और डीएलएफ फेज-2 सहित नगर निगम के गांवों में सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. इन जगहों पर कचरा फैला रहता है.