हरियाणा

कैबिनेट मीटिंग तीनों कृषि कानूनों को वापसी प्रस्ताव पास होने के बाद भी जारी किसान आंदोलन

Shantanu Roy
25 Nov 2021 8:12 AM GMT
कैबिनेट मीटिंग तीनों कृषि कानूनों को वापसी प्रस्ताव पास होने के बाद भी जारी किसान आंदोलन
x
तीन कृषि कानून वापस (Farm Laws Withdrawal) लेने के ऐलान के बाद भी किसानों का आंदोलन (Farmer protest) लगातार जारी है. 26 नवंबर को किसान आंदोलन को एक साल पूरा होने जा रहा

जनता से रिश्ता। तीन कृषि कानून वापस (Farm Laws Withdrawal) लेने के ऐलान के बाद भी किसानों का आंदोलन (Farmer protest) लगातार जारी है. 26 नवंबर को किसान आंदोलन को एक साल पूरा होने जा रहा (Andolan Anniversary 26 November) है. इससे पहले आज हरियाणा के कई जिलों में किसानों ने सर छोटू राम जयंती के मौके पर किसान मजदूर संघर्ष दिवस मनाया. किसान आंदोलन को एक साल पूरे होने को लेकर किसान पहले ही दिल्ली के बॉर्डर्स पर जमा होने का एलान कर चुके हैं. इसी आह्वान पर हरियाणा से भी भारी तादाद में किसान 26 नवंबर से पहले दिल्ली के सभी बॉर्डर पर पहुंचेंगे.

संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) ने दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान मोर्चा पर किसानों की संख्या बढ़ाने का ऐलान कर रखा है. इसके चलते अब दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन में किसानों की संख्या बढ़नी शुरू हो चुकी है. वहीं आज केंद्रीय कैबिनेट ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी की मंजूरी पर मुहर लगा दी है. कैबिनेट में तीनों कृषि कानूनों की वापसी की मंजूरी के बाद सोनीपत में सिंघु बॉर्डर पर बैठे किसानों में खुशी की लहर देखने को मिली.
किसान नेता दर्शनपाल सिंह, रमिंदर पटियाल ने कहा कि 26 नवंबर को किसान आंदोलन को 1 साल पूरा होने जा रहा है. इस वजह से संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली की सीमाओं पर किसानों की संख्या बढ़ाने का ऐलान कर रखा है. अब दिल्ली की सीमाओं पर बड़ी संख्या में किसान पहुंचने शुरू हो गए हैं. किसान अपनी जीत की खुशियां मनाएंगे और यहां पर अपनी जीत की खुशी मनाने पहुंचेंगे. वहीं उन्होंने कहा कि सरकार ने हमारी तीनों कृषि कानूनों वापसी की मांग को मान लिया है, लेकिन सरकार एमएसपी की गारंटी के कानून पर हमें आश्वासन दे. सरकार कमेटी बनाकर इसको लागू करें. इसके अलावा किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मुकदमे वापस ले. जो किसान इस किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए उन को मुआवजा दिया जाए.
वहीं दूसरी ओर बुधवार को चरखी दादरी के स्वामी दयाल धाम पर फोगाट खाप प्रधान बलवंत नंबरदार की अध्यक्षता में सर्वजातीय फोगाट महापंचायत का आयोजन किया गया. इस दौरान सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी भी पहुंचे. करीब दो घंटे तक चली पंचायत में कृषि कानूनों सहित किसानों की मांगों को लेकर चर्चा की गई. पंचायत में खाप प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से फैसला लिया कि किसानों की सभी मांगों को पूरा करवाने तक संयुक्त किसान मोर्चा के फैसलों अनुसार फोगाट खाप आंदोलन (khap Parliament gherao) में सहयोग करेगी.
मोर्चा के आह्वान मुताबिक खाप के प्रत्येक गांवों से हजारों किसान 26 नवंबर को टिकरी बार्डर के लिए कूच (Farmers March to Parliament) करेंगे. इसके लिए गांव स्तर पर कमेटियां बनाकर उनको जिम्मेदारियां सौंपी जा रही हैं. जिलेभर की खापों के साथ-साथ सामाजिक संगठनों का भी सहयोग लिया जाएगा. इसके अलावा हरियाणा में भाजपा-जजपा नेताओं के बहिष्कार का फैसला जारी रहेगा. कोई भी सरकार का नेता उनके क्षेत्र में आता है तो किसान शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करेंगे और संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर खाप आगे बढ़ेगी.
वहीं बुधवार को ही भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी ट्रैक्टर मार्च को लेकर बड़ा ऐलान किया है. टिकैत ने कहा कि 29 नवंबर को 60 ट्रैक्टर के साथ संसद के लिए मार्च निकालेंगे. टिकैत ने कहा ट्रैक्टर उन सड़कों से गुजरेंगे, जिन्हें सरकार ने खोल दिया है. हमारा आंदोलन किसानों की समस्या है. इसके लिए हम सीधे संसद जाएंगे. बता दें कि इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया था कि 29 नवंबर को 500 ट्रैक्टरों के साथ किसान संसद का घेराव करने पहुंचेंगे.
बता दें कि, बीती 19 नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानूनों को रद्द किए जाने का ऐलान किया था. पीएम ने देश के नाम दिए गए संबोधन में कहा था कि किसानों को कानूनों के बारे में समझाने का भरपूर प्रयास किया गया, अनेक माध्यमों से, लेकिन वह समझ नहीं पाए. उन्होंने कहा था कि हमने किसानों की बातों और उनके तर्क को समझने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. जिन कानूनों पर ऐतराज था उनको समझने में सरकार ने भरपूर कोशिश की, लेकिन अब ये कानून वापस ले लिए जाएंगे.
हालांकि पीएम मोदी के ऐलान के बाद भी किसान धरने पर डटे हुए हैं. संयुक्त किसान मोर्चा 27 नवंबर को अगली बैठक करेगा. इस दौरान किसान आंदोलन के भविष्य को लेकर रूपरेखा तैयार की जाएगी. फिलहाल तो केंद्र सरकार के कृषि कानून वापस लेने के बाद भी किसान अपनी बाकी मांगों को लेकर डटे हुए हैं और आगामी 26 नवंबर को किसान आंदोलन का एक साल पूरा होने पर बड़ी तादाद में दिल्ली के बॉर्डर्स पर जुटने वाले हैं.


Next Story