फरीदाबाद न्यूज़: साइबर ठगों को पकड़ने के लिए 27-28 अप्रैल को हुई पुलिस की छापेमारी के 14 दिन बाद भी गांवों में सन्नाटा पसरा हुआ है. बुजुर्ग, महिला और बच्चे ही गांव में नजर आ रहे हैं. गांव में युवाओं की टोलियां नजर नहीं आ रही हैं.
पुलिस की नियमित हो रही दबिश से भी लोग सहमे हुए हैं. आलम यह है कि गांव में प्रवेश करते ही बाहरी लोगों को ग्रामीण शक की नजर से देख रहे हैं. जिसके चलते ग्रामीण बाहर से आ रहे लोगों से खुलकर बात करने को तैयार नही हैं.
निर्दोष पर न हो कार्रवाई ग्रामीणों का कहना है कि कुछ लोगों की वजह से गांव बदनाम हो रहा है. लेकिन पुलिस को साफ सुथरी कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि निर्दोष युवा इसमें न फंसे. एक दुकानदार ने बताया कि हराम की कमाई हराम में ही जाती है. ऐसे आरोपियों के रहन सहन का असर गांव के गरीब युवाओं पर भी पड़ रहा था. उनको देखकर सीधे साधे युवा भी जल्दी अमीर बनने के लालच में ठगी करने वालों के साथ जुड़ रहे थे. सुहेब नामक एक व्यक्ति ने बताया कि ठगी का काम काफी समय से चल रहा था. पुलिस भी समय-समय पर छापेमारी करती थी, लेकिन पिछले दिनों हुए सख्त कार्रवाई समय रहते पहले हो जाती तो काफी युवा मजबूरी में इस ठगी की अपराध की दुनिया में दाखिल होने से बच जाते.
पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठा रहे लोग शाहरुख ने बताया कि उनके दो रिश्तेदार दक्षिण भारत के एक राज्य में होटल चलाते हैं. जब पुलिस की छापेमारी हुई थी तब दोनों भाई घर आए थे. उनका आरोप है कि पुलिस ने उनके रिश्तेदारों को उनके बाहर के मोबाइल नम्बर के आधार पर उठा लिया. जो ठगी का काम कर रहे थे, पुलिस उनको गिरफ्तार करे, लेकिन निर्दोष को न फंसाया जाय. उधर, पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए 14 गांवों सहित आसपास के गांव में दबिश दे रही है.
इन गांवों में की गई थी छापेमारी
साइबर अपराध के हॉटस्पॉट के तौर पर खेडला, लुहिंगा खुर्द, लुहिंगा कलां, गोकलपुर, गोधोला, अमीनाबाद, महू, गुलालता, जैवंत, जखोपुर, नई, तिरवाडा, मामलिका और पापड़ा गांव को चिन्हित किया गया था.