चंडीगढ़ न्यूज़: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली दंगों के आरोपी देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और जामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा को राहत दी है. शीर्ष अदालत ने इन आरोपियों की जमानत को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली पुलिस की ओर से दाखिल अपीलों को खारिज कर दिया.
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि उच्च न्यायालय द्वारा आरोपियों को जमानत देने के फैसले में हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है. जस्टिस संजय किशन कौल और ए. अमानुल्ला की पीठ ने दिल्ली पुलिस की अपीलों पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की है. बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के विरोध के दौरान उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी. इस हिंसा की साजिश में दिल्ली पुलिस ने छात्र कार्यकर्ता और पिंजरा तोड़ संगठन के सदस्य नताशा नरवाल, देवांगना कालिता और आसिफ इकबाल तन्हा के अलावा, जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद, जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील, जामिया की छात्रा सफूरा जरगर समेत कई लोगों के खिलाफ आतंकवादी निरोधक कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया था. दिल्ली पुलिस ने 15 जून, 2021 को उच्च न्यायालय द्वारा गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत आरोपी बनाए गए नरवाल, कलिता और तन्हा को जमानत दिए जाने के फैसले को चुनौती देते हुए, इसे रद्द करने की मांग की थी.
दिल्ली हिंसा से जुड़े मामले में उच्च न्यायालय ने कतिथ तौर पर पुलिस कर्मी पर पिस्टल तानने के आरोपी शाहरूख पठान और अन्य आरोपियों की भूमिका के बारे में बताने को कहा है. न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को पठान सहित अन्य आरोपियों की भूमिका के बारे में एक चार्ट बनाने और यह बताने के लिए है कि किस आरोपी ने क्या भूमिका निभाई.
जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने आरोपी पठान की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को यह आदेश दिया है. उन्होंने विशेष लोक अभियोजक याचिकाकर्ता पठान सहित आरोपियों की भूमिका बताने के साथ भूमिका के समर्थन में साक्ष्य भी उपलब्ध कराने को कहा है. मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने को बताया कि उनके मुवक्किल की जमानत याचिका पिछले 15 माह से लंबित है. उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल ने जनवरी 2022 में जमानत याचिका दाखिल की थी और पिछले तीन साल से वह जेल में बंद है. जमानत की मांग करते हुए पठान ने कहा कि मामले में गवाहों द्वारा पहचाने गए अन्य आरोपियों को पहले ही जमानत पर रिहा किए जा चुके जा चुके हैं.