हरियाणा
खत्म नहीं हो रही हरियाणा में किसानों की समस्याएं, डीएपी और यूरिया की कमी के कारण कम हुई पैदावार
Gulabi Jagat
9 April 2022 6:12 AM GMT
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हरियाणा में गेहूं की फसल खरीद जारी है, लेकिन इसी बीच किसानों के लिए एक नई समस्या खड़ी हो गई है
हिसार: हरियाणा में गेहूं की फसल खरीद जारी है, लेकिन इसी बीच किसानों के लिए एक नई समस्या खड़ी हो गई है. सभी किसानों की फसल की पैदावार औसत से 10 से 12 मण यानी 2 से 3 क्विंटल तक कम (Reduction in wheat production in Haryana) हुई है. किसानों ने इसके पीछे बिजाई के समय पर डीएपी खाद का न मिलना और सिंचाई के समय यूरिया खाद की कमी को सबसे बड़ा कारण बताया है. जिसके चलते किसानों की फसल पैदावार में काफी हद कर कमी देखने को मिली है.
गौरतलब है कि हरियाणा में रबी के सीजन में प्रमुख फसल गेहूं बोई जाती है और गेहूं की फसल में बिजाई के समय डीएपी खाद की जरूरत होती है. डीएपी खाद गेहूं के बीज के साथ मिलाकर ही बिजाई की जाती है. उसके बाद जैसे ही गेहूं में सिंचाई के दौरान जनवरी और फरवरी में यूरिया खाद डाला जाता है. ताकि गेहूं के पौधे कमजोर ना हो और उनका पोषण ठीक तरीके से हो. अगर समय पर यूरिया खाद व अन्य पोषक तत्व नहीं दिए जाते तो पौधा कमजोर रहता है. उसके बाद जब गेहूं की बालियां तैयार होने लगती है, तो वह भी स्वस्थ और पूरी तरीके से दाने तैयार नहीं कर पाती, ऐसे में पैदावार बहुत कम होती है और गेहूं के दानों का वजन और साइज कम रह जाता है.
फेमस न्यूज एजेंसी से बात करते हुए किसान रोहताश ने बताया कि इस बार उन्होंने 5 एकड़ में गेहूं की फसल की बिजाई की थी और महज 45 मण प्रति एकड़ की पैदावार हुई है, जबकि पिछली बार 55 मण गेहूं प्रति एकड़ की पैदावार हुई थी. रोहताश ने बताया बिजाई के टाइम पर हमें भरपूर मात्रा में डीएपी खाद नहीं (shortage of DAP and urea in Haryana) मिली. जिसके चलते समय पर बिजाई नहीं कर सके और लेट होता दिखा, तो एनपीके व अन्य खाद के जरिए बिजाई की गई, उसके बाद जब सिंचाई का टाइम आया तो फिर यूरिया खाद नहीं मिली. जिससे लगभग सभी किसानों को 2 से 3 क्विंटल प्रति एकड़ का नुकसान हुआ है.
वहीं अग्रोहा गांव के रहने वाले किसान कृष्ण यादव ने बताया कि बिजाई के समय गेहूं की फसल के लिए डीएपी खाद बेहद जरूरी होती है. घंटों लाइन में लगने के बाद भी हमें खाद नहीं मिला, दूसरी तरफ खाद के चलते फसल बीजने में लेट होने से अलग नुकसान हुआ है. उसके बाद जैसे तैसे हमने दूसरे विकल्प से फसल बिजाई कर दी, लेकिन जब सिंचाई का समय आया तो यूरिया खाद की कमी से दोहरी मार झेलने को मिली. जिसके चलते किसान कृष्ण यादव को 15 मण प्रति एकड़ तक का नुकसान हुआ है. साथ ही किसान ने सरकार से मुआवजे की मांग की है.किसान नेता दिलबाग हुड्डा ने गेहूं की खड़ी फसल के हालात दिखाते हुए कहा कि समय पर खाद नहीं मिला. इसके लिए किसान नहीं बल्कि सरकार जिम्मेदार है और जिस तरीके से एक किसान को 8 से 10 हजार रुपये प्रति एकड़ का नुकसान हुआ है, इसकी भरपाई सरकार को करनी चाहिए. जिसके तहत किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए और आगे से सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए कि किसानों को कभी खाद की किल्लत ना रहे.
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