चंडीगढ़ न्यूज़: भारतीय कानून में जेलों में बंद महिला कैदियों को कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं. इनमें गर्भवतियों, बुजुर्ग और कम उम्र की महिला कैदियों को अलग रखने और कई सुविधाएं देने का प्रावधन हैविचाराधीन कैदियों के लिए व्यवस्था
राष्ट्रीय आदर्श जेल नियामावली और कारागार अधिनियम 1894 की धारा 27(1) के तहत महिला कैदी को अलग जेल में रहने का अधिकार है. कानून में साफ कहा गया है कि महिलाओं को पुरुष कैदियों के साथ नहीं रखा जा सकता. यदि महिला के लिए अलग जेल नहीं है तो उन्हें संयुक्त जेल में अलग-अलग भवनों या एक ही भवन के अलग-अलग हिस्सों में रखा जाता है, जिससे पुरुष कैदी उनके संपर्क में न आए. विचाराधीन महिला कैदी को सजायाफ्ता कैदी से अलग रखने का अधिकार है.
अलग आवास का हक
यदि कोई महिला कैदी जेल में रहते हुए बच्चे के जन्म देती है तो वह बच्चे के साथ कम से कम एक माह तक अलग आवास और देखभाल पाने का हक रखती है, ताकि बच्चे को संक्रमण से बचाया जा सके.
गर्भवती कैदी के अधिकार
राष्ट्रीय आदर्श जेल नियमावली के तहत जेल में बंद गर्भवती महिला कैदी को विशेष और पौष्टिक भोजन प्राप्त करने का अधिकार है. उचित इलाज व देखभाल सुनिश्चित करने का भी प्रावधान है. जेल के पास के अस्पताल में प्रसव सुनिश्चित करने का प्रावधान है.
वेश्यावृत्ति में बंद कैदी के साथ नहीं रख सकते
राष्ट्रीय आदर्श जेल नियमावली के तहत एक सामान्य महिला कैदी को यह अधिकार है कि जेल मंर उन्हें वेश्यावृत्ति के आरोप में बंद महिलाओं से अलग रखा जाए. बुजुर्ग और कम उम्र की महिला कैदियों को अलग रखने का प्रावधन है.
कानून में पर्याप्त अधिकार दिए जाने के बाद भी देशभर की जेलों में बंद महिला कैदियों की दशा ठीक नहीं है. हालात सुधरे हैं, लेकिन इस पर सरकार को बहुत कुछ करने की जरूरत है. जेलों में आए दिन मानवधिकार उल्लंघन की शिकायतें आती हैं. सरकार को कैदियों के अधिकारों को प्रभावी तरीके से लागू करना होगा. -अमित साहनी, अधिवक्ता, दिल्ली उच्च न्यायालय
बच्चे के लिए क्रेच का प्रबंध जरूरी
जेल में बंद महिला अपने छह साल से कम उम्र के बच्चे को साथ रख सकती है, ऐसे में जेल प्रबंधन की जिम्मेदारी है कि वह बच्चों के लिए क्रेच का प्रबंध करे.
जन्म प्रमाण पत्र पर जेल का जिक्र नहीं
कानून के तहत यदि कोई महिला जेल में बच्चे को जन्म देती है तो उस बच्चे के जन्म प्रमाणपत्र पर जन्म स्थान नहीं लिखा जाएगा.