गुडगाँव न्यूज़: सरकार बहुत जल्द नए साइबर सुरक्षा कानून लाने की दिशा में कदम बढ़ा सकती है. दुनिया के अलग-अलग देशों से सहयोग और समन्वय के साथ साइबर अपराध पर नकेल के लिए मजबूत लीगल फ्रेमवर्क तैयार करने और मौजूदा कानूनों में बदलाव पर सहमति बनी है.
दिल्ली में साइबर चुनौतियों पर दो दिन तक चली कांफ्रेंस में मौजूदा कानूनों को तर्कसंगत बनाने और नई चुनौतियों के मद्देनजर कानूनी और अन्य ढांचा तैयार करने पर व्यापक चर्चा हुई.
एक अधिकारी ने बताया कि हमें बड़े पैमाने पर बदलाव के लिए काम करना होगा. नई चुनौतियों के मद्देनजर कानून की बहुत आवश्यकता है, क्योंकि साइबर सुरक्षा और साइबर संप्रभु हितों की रक्षा के लिए प्रारूप बदलना समय की जरूरत है. पुराने कानून मौजूदा चुनौतियों से निपटने में सक्षम नहीं हैं. अन्य देशों ने साइबर सुरक्षा पर समर्पित कानून लाना शुरू कर दिया है. एआई, एनएफटी, मेटावर्स जैसी चुनौतियों के मद्देनजर विशेषज्ञता पर भी काफी जोर दिया जा रहा है.
सहयोग से निपटा जाएगा
अधिकारियों ने बताया कि कांफ्रेंस में इस बात पर आम राय थी कि नई चुनौतियों को कानूनी रणनीति, प्रौद्योगिकी, संगठनों, एजेंसियों के सहयोग, क्षमता निर्माण और आपसी सहयोग से ही निपटा जा सकता है.
समन्वय स्थापित करने का सुझाव
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कांफ्रेंस के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने नई चुनौतियों से आगाह किया था. उन्होंने सभी देशों के कानूनों में एकरूपता लाना, सभी देशों के विभिन्न कानूनों के तहत एक प्रतिक्रिया तंत्र विकसित करना, सभी देशों की साइबर एजेंसियों के बीच अधिक समन्वय स्थापित करने का भी सुझाव दिया था. अधिकारियों का कहना है कि कांफ्रेंस में तय दिशा के मुताबिक एक्शन वाले बिंदुओं पर काम होगा.