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खोरी गांव के लोगों को दो साल बाद भी नही मिला आशियाना

Admin Delhi 1
10 Jun 2023 12:39 PM GMT
खोरी गांव के लोगों को दो साल बाद भी नही मिला आशियाना
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फरीदाबाद न्यूज़: अरावली के खोरी में ध्वस्त किए गए करीब 10 हजार मकानों के निवासियों का दो साल बाद भी पुनर्वास नहीं किया गया है. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी खोरी के लोगों को आशियाना नहीं मिल सका है. इसके विरोध में खोरी के लोगों ने नगर निगम मुख्यालय के सामने धरना-प्रदर्शन किया. इसमें उजाड़ी गई जमाई कॉलोनी के भी कुछ लोग पहुंचे. प्रदर्शनकारियों ने अतिरिक्त निगमायुक्त गौरव अंतिल को एक ज्ञापन सौंपा.

प्रदर्शनकारियों ने पुनर्वास के लिए फिर से आवेदन लेने, लोगों को मकान का किराया देने, डबुआ फ्लैटों में जल्द से जल्द मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाने और अरावली में बने फार्म हाउसों पर भी खोरी जैसी कार्रवाई करने की मांग की. अतिरिक्त निगमायुक्त के निर्देश पर तहसीलदार बीएस ढिल्लों को करीब 20 लोगों के आवेदन दिए गए.

प्रदर्शनकारी रेखा, रणधीर, आनंद, नजमा, ममता, मंजूर, विरेंद्र, सीमा व राखी आदि ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के दो साल पूरे हुए, लेकिन लोगों का पुनर्वास नहीं हुआ. नगर निगम ने दो वर्ष में मात्र 12 सौ परिवारों को पुनर्वास के लिए पात्र माना है. जबकि 2018-19 में कराए गए राजस्व सर्वेक्षण में करीब 6,663 परिवार दर्ज किए गए. लेकिन यह जानकारी निगम ने वेबसाइट से हटा दी.

बड़खल एक्सटेंशन, जमाई कॉलोनी के लोगों का पुनर्वास नहीं अरावली में बसे बड़खल एक्सटेंशन, जमाई कॉलोनी के करीब दो हजार मकानों को ध्वस्त किया गया, लेकिन इन इलाकों के लोगों का पुनर्वास नहीं किया गया और इनके पुनर्वास की कोई योजना भी नगर निगम के पास नहीं है. इन कॉलोनियों के कुछ उजड़े लोग भी इस प्रदर्शन में शामिल हुए.

खोरी के लोगों की सामूहिक मांगे ंऔर सवाल

● मकानों को गिराने से पहले सर्वे करके अस्थाई आश्रय या पुनर्वास क्यो नहीं किया गया.

● अदालत के आदेश के बाद भी फार्म जमा करने के लिए मात्र 15 दिन का समय दिया गया. ऐसे में फार्म फिर से जमा कराए जाएं.

● निगम को पुनर्वास के लिए कोई बेहतर प्रणाली बनानी चाहिए और खोरी के लोगों के आवेदन पर विचार किया जाना चाहिए.

● याशी कंपनी द्वारा किया गया संपत्ति सर्वे की रिपोर्ट भी सर्वोच्च न्यायालय के सामने रखनी चाहिए ताकि पता चल सके कि कितने लोगों का पुनर्वास किया जाना है.

● खोरी में जिन लोगों के मकानो को ध्वस्त किया गया है, उन्हें मुआवजा दिया जाना चाहिए.

● डबुआ के ईडब्ल्यूएस फ्लैटों में बिजली, पानी, स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन सेवाओं को दुरुस्त किया जाना चाहिए.

● 27 जुलाई 2021 को सर्वोच्च न्यायालय को निगम ने बताया था कि भूमाफिया के खिलाफ एफआईआर की गई है, किस पर क्या कार्रवाई की गई बताया जाए.

● अरावली में पीएलपीए की जमीन पर होटल, फार्महाउस, संस्थान आदि बनो हुए हैं, उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई? जबकि न्यायालय इन्हें भी हटाने के आदेश दिए हैं.

नहीं मिला किराया

प्रदर्शनकारियों ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर नगर निगम खोरी से बेघर हुए लोगों को 2000 रुपये प्रतिमाह मकान का किराया देना था. पात्र परिवारों में भी अधिकांश लोगों को किराया नहीं मिला है. निगम ने खोरी से बेघर किए गए करीब 1277 परिवारों की पात्रता तय की है. इनमें से करीब 406 लोगों को ही किराया दिया गया है. बेघर हुए लोग अभी खोरी के दिल्ली और फरीदाबाद के आसपास के इलाको में किराए पर रहते हैं. निगम प्रशासन ने न्यायालय के आदेश पर डबुआ कॉलोनी में बने एक कमरे के फ्लैट को करीब 3.68 लाख रुपये की कीमत अदायगी की शर्त पर आवंटित किए हैं. फ्लैट में अभी तक करीब साढ़े चार सौ परिवार ही रहते हैं.

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