चंडीगढ़ न्यूज़: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक खत्म होगी. आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई में नरमी के बाद आरबीआई ‘देखो और इंतजार करो’ की रणनीति अपना सकता है. इसके तहत रेपो दर यथावत 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रह सकती है.
विशेषज्ञों का अनुमान है कि ब्याज दरों में संभवत साल 2024 की शुरुआत में कटौती देखने को मिल सकती है. विशेषज्ञों ने कहा कि हाल के दिनों में थोक और खुदरा महंगाई दर में गिरावट आई है. पिछले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर भी काफी अच्छी रही है. ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था में लगातार सुधार होने की उम्मीद बनी हुई है.
इन संकेतों ने नीतियों में तुरंत किसी बदलाव की संभावना को कम कर दिया है. इसके अलावा आरबीआई की मानसून की प्रगति पर भी नजर है और अल नीनो खरीफ की फसल पर दुष्प्रभाव डाल सकता है, जिससे कीमतों पर भी प्रभाव पड़ सकता है.
ऊंचे ब्याज से दुनिया की आर्थिक वृद्धि प्रभावित होगी’
महंगाई और बढ़ती ब्याज दरों की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए यह साल और अगला वर्ष अनिश्चितताओं वाला रहेगा. पेरिस के आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन ने अपने ताजा आर्थिक परिदृश्य में यह बात कही है. ओईसीडी के सदस्यों में 38 देश शामिल हैं.
ओईसीडी ने चालू साल में अपने वैश्विक वृद्धि दर के अनुमान को मामूली बढ़ाकर 2.7 प्रतिशत कर दिया है. नवंबर में उसने वृद्धि दर 2.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था. समूह का अनुमान है कि अगले साल वैश्विक वृद्धि दर मामूली बढ़त के साथ 2.9 प्रतिशत रहेगी.
ओईसीडी ने कहा कि कोविड के बाद पुनरुद्धार यूक्रेन पर रूस के हमले के चलते ऊर्जा कीमतों में आई तेजी से प्रभावित होगा. ऐसे में महामारी-पूर्व के वर्षों की तुलना में वृद्धि कम रहेगी. 2013-2019 में औसत वैश्विक वृद्धि 3.4 प्रतिशत रही थी. रूस-यूक्रेन युद्ध, विकासशील देशों में कर्ज संकट और ब्याज दरों में तेज बढ़ोतरी से बैंक और निवेशक प्रभावित हुए हैं.