हिसार न्यूज़: बारिश की वजह से गेहूं की फसल में भारी नुकसान हुआ है. जिन किसानों की फसल पक चुकी है, उन्हें खेतों से कटवाने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं. गेहूं की बालों के खेत में गिर जाने की वजह से कंबाइन मशीन में भी इन्हें काटने में कारगर नहीं है. खेतों में गिरी इस फसल को काटकर घर लाने के बारे में सोचकर किसानों का सिरदर्द बढ़ता जा रहा है.
किसानों की फसल गिर गई है. इस वजह से खेत में कंबाइन मशीन को चलवाना भी आसान नहीं है. इस वजह से खेतों में गिरी गई फसल को कटवाने के लिए मजूदरों की जरूरत पड़ रही है. लेकिन जिस प्रतिशत से गेहूं की फसल खेतों में गिरी है, उसके मुकाबले मजदूर नहीं है. किसानों के सामने इस फसल की कटाई को लेकर सिरदर्द पैदा हो गया है. कुछ किसान धान के सीजन में बिहार से आने वाले किसानों से भी संपर्क कर रहे हैं, लेकिन बिहार से भी मजदूर आने को तैयार नहीं हैं. किसानों का कहना है कि धान की फसल के बजाय गेहूं की फसल को काटकर निकालने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. इस वजह से बिहार से भी मजदूर आने को तैयार नहीं है.
नौ मन अनाज मांग रहे मजदूर खेतों में खराब हुई फसल के लिए स्थानीय मजदूर एक खेत की कटाई के लिए नौ मन अनाज की मांग कर रहे हैं. जबकि आतौर पर पांच से छह मन अनाज में एक खेत की कटाई कर दी जाती है. ये मजदूर किसानों से भूसा अलग से देने की मांग कर रहे हैं. किसानों का मानना है कि इस बार वैसे ही एक खेत में फसल खराब होने से 24 क्विंटल के मुकाबले 18 क्विंटल एक एकड़ में गेहूं की पैदावार होने की आशंका है. फसल बर्बाद होने की वजह से किसानों को हर तरह से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
फसल बर्बाद हो चुकी है. स्थानीय मजदूर किसानों से फसल कटाई के लिए नौ मन गेहूं की मांग कर रहे हैं. सरकार को जल्द विशेष गिरदावरी करवानी चाहिए.
चंद्रपाल, किसान, फतेहपुर बिल्लौच
बिहार से भी मजदूर आने को तैयार नहीं हैं. यहां पर फसल काटने के लिए मजदूर नहीं हैं. मुझे तो लग रहा है कि इस बार गेहूं को मंडी में बेचना भी आसान नहीं होगा. - धर्मपाल त्यागी, प्रगतिशील किसान, बादशाहपुर