रेवाड़ी न्यूज़: इंफ्लुएंजा को लेकर स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है. जिलाधिकारी विक्रम सिंह ने इसके मद्देनजर सभी इंतजाम पूरे करने के निर्देश दिए हैं. इसके तहत बीके राजकीय नागरिक अस्पताल में बने अस्थाई कोविड अस्पताल तक दुरुस्त किया जाएगा. इसी अस्पताल में इंफ्लुएंजा के मरीजों का इलाज होगा.
जिले में इंफ्लुएंजा का मरीज मिलने के बाद जिलाधिकारी ने नागरिकों को भरोसा दिया कि स्वास्थ्य विभाग एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस के फैलाव व संक्रमण को रोकने लिए पूरी तरह सतर्क है. साथ ही उन्होंने जिलेभर के नागरिकों से अपील की है कि है वह इस वायरस को लेकर घबराएं नहीं, बल्कि इससे बचाव के लिए सावधानी बरतें. जो सावधानी कोविड के समय बरती गई उन्हें अपनाएं. सरकार द्वारा जारी हिदायतों के अनुसार इन दिनों खांसी, जुकाम और बुखार के लिए जिम्मेदार इंफ्लूएंजा एच3एन 2 वायरस को मिनी कोविड कहा जा रहा है.
सिविल सर्जन डॉ. विनय गुप्ता ने बताया कि आईसीएमआर ने एच3एन2 संक्रमण से बचाव के लिए गाइडलाइन जारी की हैं. इस पर सख्ती से अमल करके संक्रमण से बचा जा सकता है.
स्वास्थ्य विभाग ने एडवायजरी जारी की
इंफ्लुएंजा को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने एडवायजरी जारी की है. कहा गया है कि नियमित तौर पर हाथ साबुन और पानी से धोएं. बाहर जाते समय या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से पहले मास्क जरूर पहनें. खांसते-छींकते समय नाक और मुंह को ठीक से कवर करें. सार्वजनिक जगह पर हाथ मिलाने और थूकने से बचें. फ्लू होने पर अपने आपको आइसोलेट कर लें,ताकि दूसरे लोग संक्रमित न हों. डॉक्टर की सलाह के बिना एंटिबायोटिक दवाइयां न लें.
एक से दूसरे में फैलता है: स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि जिस तरह कोरोना एक से दूसरे में फैलता है और सीधे फेफड़ों पर अटैक करता है, उसी तरह यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर दूसरे व्यक्ति में भी तेजी से फैल रहा है. जब संक्रमित मरीज छींकता है या खांसता है, तो इसके ड्रॉपलेट्स एक घन मीटर के दायरे तक फैल जाते हैं. जहां आस-पास मौजूद व्यक्ति के सांस लेने पर ड्रॉपलेट उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं या फिर संक्रमित व्यक्ति के खांसने-छींकने पर वायरस युक्त ड्रॉपलेट्स किसी सतह या किसी चीज पर गिरते हैं. जिसे स्वस्थ व्यक्ति के छूने पर हाथ में ट्रांसफर हो जाते हैं और आंख-नाक-मुंह के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. ऐसे में दूसरा व्यक्ति भी एच3एन2 से संक्रमित हो जाता है. वहीं हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार कोरोना वायरस की तरह ही इन्फ्लूएंजा ए-एच3एन2 वायरस भी मरीज के शरीर में लंबे समय तक बना रहता है. यह लंग्स के टिश्यूज या ब्रोंकाइल लाइनिंग को खराब कर देता है. ब्रोंकाइल के आगे मौजूद पतले एयर सेल्स में इंफ्लेमेशन पैदा कर देता है, जिसे ब्रोंकोलाइटिस कहा जाता है. इस कंडीशन में मरीज को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है.स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों के मुताबिक कमजोर इम्यूनिटी वाले मरीज, छोटे बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं इस वायरस की चपेट में जल्दी आ सकते हैं. इसके अलावा टीबी, अस्थमा या लंग्स इंफेक्शन, किडनी, कार्डियक डिजीज से पीड़ित मरीजों के लिए यह वायरस अधिक खतरनाक हो सकता है.
संक्रमण के प्रमुख लक्षण: इस वायरस से संक्रमित होने पर रोगी में तेज बुखार होना, 5-8 दिन में बुखार सही होने के बाद सूखी खांसी और तीन सप्ताह से भी ज्यादा समय तक लगातार बने रहना. खासकर रात को सोने के समय ज्यादा खांसी होना जैसे प्रमुख लक्षण दिखते हैं. वहीं खांसी की वजह से अनिद्रा, गले में दर्द, खराश और कफ की शिकायत.