Faridabad में निर्दलीय उम्मीदवार भाजपा और कांग्रेस का खेल करेंगें खराब
फरीदाबाद: विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और बीजेपी के बीच टिकट बंटवारे के बाद राजनीति में नया मोड़ आ गया है. बीजेपी और कांग्रेस के बागी नेता अपनी-अपनी पार्टियों के चुनावी समीकरणों को प्रभावित करने का इरादा रखते हैं. फरीदाबाद क्षेत्र में निर्दलीय प्रत्याशियों की बढ़ती सक्रियता ने चुनावी माहौल में हलचल पैदा कर दी है। ऐसे में निर्दलीय उम्मीदवार प्रमुख राजनीतिक दलों के समीकरण बिगाड़ सकते हैं.
विधानसभा चुनाव के लिए 64 उम्मीदवारों ने अपनी उम्मीदवारी दाखिल की है. जिसमें 30 से ज्यादा उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. इसमें कई बड़े चेहरे शामिल हैं. ऐसे में बागी नेताओं ने राजनीतिक दलों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. सबसे ज्यादा परेशानी कांग्रेस और बीजेपी को हुई है. कांग्रेस और बीजेपी में अपनों की बगावत से समीकरण बदल सकते हैं. इस बार कांग्रेस को उम्मीद है कि वह बीजेपी को सत्ता से हटाने में कामयाब होगी. वहीं टिकट बंटवारे के बाद एक के बाद एक बीजेपी नेता और कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ दी. इससे बीजेपी की भी टेंशन बढ़ गई है. ऐसी ही स्थिति कांग्रेस में भी देखने को मिल रही है, जो दोनों प्रमुख पार्टियों के लिए अच्छा संकेत नहीं है.
शारदा राठौड़ ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा था: कांग्रेस की बागी नेता शारदा राठौड़ ने भी बल्लभगढ़ विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया है। राठौड़ का निर्दलीय मैदान में उतरना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका हो सकता है, क्योंकि पार्टी के आंतरिक मामलों को अस्थिर करने की उनकी क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं। उनके नेतृत्व में पुराने कांग्रेस समर्थकों और कार्यकर्ताओं का ध्यान उन पर केंद्रित हो सकता है, जिससे पार्टी को नुकसान हो सकता है.
नयनपाल रावत ने बढ़ा दी बीजेपी की टेंशन: पृथला विधानसभा सीट से बीजेपी टिकट के प्रमुख दावेदार माने जा रहे नयनपाल रावत ने बीजेपी से टिकट नहीं मिलने के बाद निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भरा है. पहले भी वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीतकर विधायक बने थे. जिसके बाद बीजेपी ने सरकार का समर्थन किया. सरकार ने उन्हें हरियाणा वेयरहाउस के चेयरमैन की जिम्मेदारी सौंपी। ऐसे में उन्हें बीजेपी से टिकट की उम्मीद थी, लेकिन आखिरी वक्त में पार्टी ने उनकी जगह बीजेपी के टेकचंद शर्मा को टिकट दे दिया. इसके चलते इस सीट पर बीजेपी को अंदरुनी हमले का सामना करना पड़ रहा है. निर्दलीय चुनाव लड़ने से बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है.