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बढ़ती बिजली की मांग, हरियाणा से बाहर पावर प्लांट स्थापित करने को लेकर मुख्यमंत्री ने कही ये बात

jantaserishta.com
20 May 2022 5:41 PM GMT
बढ़ती बिजली की मांग, हरियाणा से बाहर पावर प्लांट स्थापित करने को लेकर मुख्यमंत्री ने कही ये बात
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भविष्य में बढ़ती बिजली की मांग को देखते हुए हरियाणा से बाहर पावर प्लांट स्थापित करने को लेकर चल रही अटकलों पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने साफ कर दिया है कि नासिक में बिक रहे एक निजी कंपनी के पावर प्लांट को खरीदने की तैयारी चल रही है। इसके लिए बिजली विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी लगाई है।

हरियाणा निवास में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में प्रदेश में 1800 मेगावाट तक बिजली की कमी चल रही थी। इस कारण कुछ दिन कट भी लगाए गए लेकिन अब तमाम बंदोबस्त कर लिए गए हैं। अदाणी की यूनिटों से भी 600 मेगावाट बिजली मिलनी शुरू हो गई है। वहां से और भी बिजली मिलने की संभावना है।
आगामी 30 मई तक खेदड़ यूनिट-2 से अतिरिक्त 600 मेगावाट बिजली उपलब्ध हो जाने की संभावना है। इसी तरह 26 मेगावाट सौर व पवन ऊर्जा मिलने लगी है और 15 जून तक 127 मेगावाट सौर ऊर्जा और भी उपलब्ध हो जाएगी। वर्तमान समय में बिजली की मांग पिछले साल की तुलना में 700 से 800 लाख यूनिट अधिक है। इस समय राज्य की अधिकतम मांग 9874 मेगावाट तक पहुंच गई है, जबकि बिजली की आपूर्ति भी 9874 मेगावाट है।
जम्मू से 300 मेगावाट का करार
धान के सीजन को देखते हुए जम्मू-कश्मीर से 300 मेगावाट बिजली खरीद का करार भी किया गया है। 15 जून से धान की रोपाई शुरू होगी। धान की खेती के लिए प्रतिदिन राज्य में 6 लाख 61 हजार नलकूप चलाए जाते हैं, जिससे बिजली की मांग बढ़कर 24 करोड़ यूनिट हो जाएगी। इस मांग को पूरा करने के लिए पहले से ही यह तैयारी कर ली है, ताकि कृषि उपभोक्ताओं आठ घंटे बिजली आपूर्ति की जा सके।
उपायों से बचा रहे बिजली
मनोहर लाल ने कहा कि उजाला योजना के तहत घरेलू उपभोक्ताओं को अब तक कुल 1.56 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए गए हैं। इससे प्रति वर्ष 2027 मिलियन यूनिट की बचत हुई है और पीक डिमांड में 406 मेगावाट की कमी आई है। घरेलू उपभोक्ताओं को कुल 2,13,302 एलईडी ट्यूबलाइट वितरित की जा चुकी हैं। इससे प्रति वर्ष 9.34 मिलियन यूनिट ऊर्जा की बचत हुई है और उजाला पोर्टल डैशबोर्ड के अनुसार पीक डिमांड में 4 मेगावाट की कमी आई है। कुल 60,709 ऊर्जा कुशल पंखे वितरित किए गए हैं। इससे प्रति वर्ष 5.65 मिलियन यूनिट ऊर्जा की बचत हुई है।
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