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HCS अनिल नागर को हरियाणा सरकार ने किया बर्खास्त
हरियाणा सरकार ने डेंटल सर्जन भर्ती फर्जीवाड़े के मुख्य आरोपी एचसीएस अनिल नागर को बर्खास्त कर दिया है। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय की तरफ से मुख्य सचिव संजीव कौशल ने मंगलवार को बर्खास्तगी का आदेश जारी किया। अब वह सरकारी सेवाओं के लिए अयोग्य हो गए हैं। राज्यपाल ने आदेश में टिप्पणी की है कि नागर भविष्य में सरकारी सेवा करने के लायक नहीं हैं। सेवाएं समाप्त करने से पहले इस मामले में सरकार स्तर पर जांच नहीं बनती।
अनिल नागर को विजिलेंस ब्यूरो ने 18 नवंबर 2021 हरियाणा लोक सेवा आयोग के कार्यालय से 90 लाख रुपये के साथ गिरफ्तार किया था। नागर आयोग में उप सचिव के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने डेंटल सर्जन भर्ती और एचसीएस प्राथमिक परीक्षा में पास कराने के लिए युवाओं से रिश्वत ली थी। सरकार ने नागर को 18 नवंबर को ही निलंबित कर दिया था।
बर्खास्तगी आदेश में राज्यपाल ने अनेक तीखी टिप्पिणयां की हैं। आदेश में कहा गया है कि नागर ने निंदनीय कार्य किया है। इसकी सरकारी अफसर से उम्मीद नहीं की जा सकती। यह घोर कदाचार है। आम जनता की नजर में सरकार की छवि धूमिल हुई है। इस तरह की अनैतिक गतिविधियों से सरकार की गंभीर बदनामी होती है। इसलिए ऐसे मामलों में नजीर पेश करने वाली कार्रवाई करना जरूरी है। नागर का अब सरकारी सेवाओं में रहना सार्वजनिक हित में हानिकारक होगा। वह सरकारी सेवा में रहते हुए गवाहों को डराने, जबरदस्ती और सुबूत नष्ट करने का प्रयास कर सकते हैं।
सरकार ने लोक सेवा आयोग से भी ली राय
सरकार ने नागर की बर्खास्तगी से पहले हरियाणा लोक सेवा आयोग से भी दो दिसंबर 2021 को राय ली। संविधान के अनुच्छेद 320 (3) के संदर्भ में आयोग ने 3 दिसंबर को अपनी राय दी। कहा कि नागर उप सचिव के पद पर तैनात रहे हैं। आयोग को पता चला है कि नागर या उनके सहयोगी सुबूतों को मिटा सकते हैं, गवाहों को डरा सकते हैं, इसलिए उन पर बर्खास्तगी की कार्रवाई की जानी चाहिए।
आयोग के उप सचिव होने के नाते उनके अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ संबंध रहे हैं। इसलिए वह उनके खिलाफ सुबूत देने वालों को प्रभावित कर सकते हैं। उनके सरकारी सेवा में रहने पर अधीनस्थ कर्मचारी सुबूत देने से भी डरेंगे। यह मानव स्वभाव है कि अपने अधिकारी के खिलाफ कोई सुबूत नहीं देगा। उनके रखे रिकॉर्ड की पवित्रता की भी कोई गारंटी नहीं है। इस मामले में जांच करना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। उन्हें बर्खास्त करने के लिए पर्याप्त कारण मौजूद हैं। इसलिए बर्खास्तगी से पहले सरकार स्तर पर जांच का सवाल ही नहीं उठता।
नागर ने उप सचिव पद की गरिमा अनुसार नहीं किया काम
राज्यपाल ने कहा है कि नागर ने उप सचिव पद के अनुसार कार्य नहीं किया। यह एक अधिकारी के लिए बेहद अशोभनीय है। मामले की सारी परिस्थितियों के अनुसार आरोपी के कार्य कदाचार और अनुशासनहीनता की श्रेणी में आते हैं। इसलिए नागर अब सरकारी सदस्य के रूप में बनाए रखने के योग्य नहीं हैं। सिविल सर्विस नियमों को ध्यान में रखते हुए उन्हें सेवाओं से बर्खास्त करने की सजा देने का फैसला लिया है। उनके खिलाफ मामले में जांच करना व्यावहारिक नहीं है। उन्हें संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (बी) के तहत बर्खास्त किया जाता है। वह भविष्य में सरकारी रोजगार के लिए अयोग्य माने जाएंगे।
नागर की सीधे बर्खास्तगी की न्यायिक समीक्षा संभव: एडवोकेट हेमंत
बिना नियमित विभागीय जांच करवाए एचसीएस अनिल नागर को सीधे बर्खास्त करने के संबंध में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत ने बताया कि हरियाणा सिविल सेवा (दंड एवं अपील) नियमावली, 2016 में कोई उल्लेख नहीं है, परन्तु भारत के संविधान के अनुच्छेद 311 के खंड 2 (बी) में प्रदेश सरकार कुछ विशेष परिस्थितयों में जांच न करवाए बिना भी बर्खास्त करने को पूर्णतया सक्षम है।
बशर्ते इस संबंध में कारणों को लिखित तौर पर रिकॉर्ड किया जाए कि ऐसी जांच क्यों नहीं की जा सकती एवं ऐसा करना व्यवहारिक क्यों नहीं होगा? हालांकि हाईकोर्ट इस संबंध में न्यायिक समीक्षा कर सकती है और अगर कोर्ट को रिकार्डेड कारण ठोस न लगें तो सरकार द्वारा जारी बर्खास्तगी का आदेश को पलटा भी जा सकता है।
सरकार द्वारा दिए गए तर्क कि नागर एचपीएससी में उप सचिव जैसे ऊंचे पद पर रहे हैं और इसलिए स्टाफ को डरा-धमका सकते हैं और वो उनके विरूद्ध गवाही न दें, पर एडवोकेट हेमंत ने कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर इससे सहमत नहीं हैं। क्योंकि नागर को 9 महीने पूर्व फरवरी में ही वह आयोग में तैनात किया था और नियमित अधिकारी नहीं है।
अकेले नागर पर दोष मढ़ना, दूसरों को बचाने की साजिश: सुरजेवाला
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार एचसीएस अधिकारी अनिल नागर को बर्खास्त कर अन्य लोगों को बचाने का षड्यंत्र रच रही है लेकिन कांग्रेस ऐसा कतई भी नहीं होने देगी, इस मामले में अब सच्चाई आइने की तरह साफ है।
सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि नौकरी बिक्री घोटाले में अकेले नागर, अश्वनी शर्मा और नवीन शामिल नहीं हैं। इनके ऊपर सरकार के बड़े अधिकारियों और सफेदपोश लोगों का हाथ था। सरकार अब उनको बचाने के लिए सारा दोष नागर पर मढ़ रही है। सुरजेवाला ने मांग की है कि एचपीएससी को बर्खास्त किए बिना और पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में जांच के अलावा और कोई चारा नहीं है।
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Gulabi
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