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हरियाणा: किसानों की मदद के लिए बनाए गए 6755 कस्टम हायरिंग सेंटर

Deepa Sahu
25 Jan 2022 11:29 AM GMT
हरियाणा: किसानों की मदद के लिए बनाए गए 6755 कस्टम हायरिंग सेंटर
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कृषि मशीनरी बैंक बनाने की केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत देश भर में कस्टमर हायरिंग सेंटर (CHC) बनाए जा रहे हैं.

कृषि मशीनरी बैंक बनाने की केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत देश भर में कस्टमर हायरिंग सेंटर (CHC) बनाए जा रहे हैं. पंजाब और हरियाणा के किसान कृषि में मशीनों का इस्तेमाल करने में काफी आगे हैं. हरियाणा सरकार ने बताया है कि उसने अब तक किसानों (Farmers) की मदद के लिए 6755 कस्टम हायरिंग सेंटर बना लिए हैं. जिससे किसान भाई सस्ते में कृषि यंत्र लेकर खेती कर सकते हैं. खास बात यह है कि इनमें से 31 हजार से अधिक मशीनें पराली (Parali) मैनेजमेंट करने वाली हैं. यहां धान की पराली जलाने की घटनाएं पर्यावरण के लिए बड़ी चुनौती हैं. इसीलिए सरकार फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत व्यक्तिगत कस्टम हायरिंग सेंटर के लिए 50 फीसदी ग्रांट और सहकारी, एफपीओ और पंचायतों को 80 फीसदी तक की ग्रांट दे रही है.

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर किसानों को विभिन्न प्रकार की सुविधाएं दे रही है. जिसकी वजह से प्रदेश में न केवल खाद्यान्नों का रिकार्ड उत्पादन हो रहा है बल्कि पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में भी किसान आगे आ रहे हैं. किसान फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत निरंतर सब्सिडी का लाभ लेकर कृषि उपकरण (Farm Equipment) खरीद रहे हैं.किस साल में कितने कृषि यंत्र खरीदे गए
कृषि मंत्री ने बताया कि किसानों को कृषि से संबंधित यंत्र पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष अधिक उपलब्ध करवाए गए हैं. वर्ष 2021-22 के दौरान अब तक 19052 कृषि यंत्र अनुदान पर उपलब्ध करवाए जा चुके हैं, जबकि वर्ष 2018-19 में 10627 यंत्र, वर्ष 2019-20 में 14078 यंत्र तथा वर्ष 2020-21 में 15350 यंत्र उपलब्ध करवाए गए थे.

पराली मैनेजमेंट के लिए 1000 रुपये प्रति एकड़
दलाल ने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत कस्टम हायरिंग सेंटर के लिए 80 प्रतिशत तथा व्यक्तिगत किसान को 50 प्रतिशत अनुदान की राशि उपलब्ध करवाई जाती है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में 6755 कस्टम हायरिंग सेंटर चल रहे हैं, जिनमें फसल अवशेष प्रबंधन के 31446 कृषि यंत्र उपलब्ध हैं. उन्होंने बताया कि किसानों को फसल अवशेषों की गांठ बनाने के लिए 1000 रुपये प्रति एकड़ अनुदान राशि भी दी जाती है.

पराली जलाना कम हुआ, मंत्री का दावा
कृषि मंत्री ने बताया कि सरकार की प्रतिबद्धता के फलस्वरूप किसानों को कृषि यंत्रों की उपलब्धता के लिए वर्ष 2020-21 में 14 करोड़ रुपये तथा वर्ष 2021-22 में 25 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई. जिसका नतीजा यह रहा कि वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में 30 प्रतिशत फसल अवशेष प्रबंधन अधिक देखने को मिले. किसानों ने खेतों में पराली जलाना बंद की है और विभाग की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आगे आ रहे हैं.


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