चंडीगढ़ न्यूज़: किसानों से सहमति के आधार पर जमीन खरीदने में आबादी के लिए विकसित भूमि देने पर रोक से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. प्राधिकरण दफ्तर पर 14 मार्च को होने वाले प्रदर्शन में किसान इस मुद्दे को उठाएंगे. इसके साथ ही, किसान अदालत का रुख करेंगे. हालांकि, प्राधिकरण का दावा है कि वर्ष 2016 में जारी किए गए शासनादेश में यह व्यवस्था खत्म की गई थी. किसान इस शासनादेश पर भी सवाल उठा रहे हैं.
किसानों से जमीन लेने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बोर्ड ने 2014 में दो विकल्प तय किए थे. पहला, किसान चाहे तो 2500 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से मुआवजा और छह फीसदी आवासीय भूखंड ले लें. दूसरा, वे 3500 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से मुआवजा ले सकते हैं, तब उनको छह फीसदी आवासीय भूखंड नहीं मिलेगा. इसके बाद 23 फरवरी 2016 को जारी शासनादेश के क्रम में प्राधिकरण की 104वीं बोर्ड बैठक में निर्णय लिया गया कि किसानों से सीधे क्रय की गई जमीन के एवज में सिर्फ 3500 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से मुआवजा दिया जाएगा. किसानों को इसके अतिरिक्त कोई अन्य लाभ देय नहीं होगा. यह प्रावधान तभी से लागू है. प्राधिकरण का दावा है कि सात साल पुराने इस फैसले पर अमल किया जा रहा है.