रेवाड़ी न्यूज़: स्मार्ट सिटी में हर दूसरे दिन एक बच्ची पर यौन हमले का मामला सामने आ रहा. किसी बच्ची के साथ छेड़खानी हो रही है तो किसी के साथ दुष्कर्म. इस साल एक जनवरी से लेकर 31 मई तक शहर में 83 मामले सामने आ चुके हैं. पुलिस के महिला सुरक्षाके तमाम दावों के बीच घर पर अकेली बच्चियों और किशोरियों पर यौन हमले के मामले लगातार सामने आ रहे हैं.
अनंगपुर डेयरी इलाके में आठ वर्षीय बच्ची पर यौन हमले के बाद हत्या के मामले से बच्चियों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. सुरक्षा के लिए नए सिरे से कार्ययोजना और जागरूकता कार्यक्रम शुरू करने की जरूरत है. तभी इस तरह के मामलों की पुर्नावृति को रोका जा सकता है.
अधिकांश मामले कॉलोनियों से आ रहे हैं, जहां पर माता-पिता किराए का कमरा लेकर रहते हैं. वहां पर आस-पड़ोस में भी काफी संख्या में लोग किराए का कमरा लेकर रहते हैं. इनमें माता-पिता दोनों काम पर चले जाते हैं, इसके बाद बच्चे घर पर अकेले रहते हैं. माता-पिता की गैरमौजूदगी में आस-पड़ोस या परिचित के लोग बच्चियों और किशोरियों पर गलत नजर रखते हैं.
माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चियों को बाहरी लोगों से सतर्क रहने के बारे में जागरूक करें.
जागरूकता जरूरी
बाल कल्याण समिति के चेयरमैन श्रीपाल करहाना बताते हैं कि बच्चियों पर यौन हमले के मामलों में आस-पड़ोस के लोगों की संख्या ज्यादा है. इस तरह के मामलों में पुलिस सुरक्षा से ज्यादा माता-पिता को जागरूक करने की जरूरत है. ऐसे मामलों की जांच से पता चलता है कि काफी संख्या में ऐसी बच्चियां स्कूल भी नहीं जाती हैं. पुलिस को सुरक्षा के मद्देनजर माता-पिता और
उनकी बच्चियों को जागरूक करने की जरूरत है.
घर पर अकेले होना सबसे बड़ा खतरा
बाल कल्याण समिति की परामर्शदाता अपर्णा बताती हैं कि बच्चियों और किशोरियों पर यौन हमले के मामले लगातार सामने आते रहते हैं. बच्चियों को परामर्श देने के दौरान एक बात बिल्कुल स्पष्ट तौर पर सामने आई है कि घर पर अकेले रहने के दौरान बच्चियों और किशोरियों पर यौन हमले हो रहे हैं. इससे बचाव के लिए माता-पिता अपनी बच्चियों को बताएं कि यौन हमले के वक्त तेज चीखकर विरोध जताएं. माता-पिता ऐसा माहौल बनाएं कि बच्चियां प्रत्येक बात को उनके साथ साझा कर सकें. यदि बच्ची गुमसुम रहती है तो उससे प्यार से पूछे कि इसके पीछे यौन हमला तो वजह नहीं है. बच्चियों को बताया जाए कि बाहरी व्यक्तियों से खाने-पीने की कोई वस्तु स्वीकार न करें. बच्चियों को खेलने के लिए पड़ोसियों के घर भेजने से पहले सतर्कता बरतें. एक और बात यह है कि बच्चियों को स्कूल भेजे जाने की जरूरत है. ताकि वे घर पर अकेली न रहें और शिक्षकों के संपर्क में आकर गुड टच और बैड टच के बारे में जागरूक हो सकें.