CAG रिपोर्ट में खुलासा: दस साल बाद भी लागू नहीं हुई जल नीति
चंडीगढ़: प्रदेश में पेयजल को लेकर बंद कमरे में नीतियां बनाई जा रही हैं। इसे लेकर आम लोगों से लेकर ग्राम पंचायतों तक से कोई सुझाव नहीं लिया जा रहा है. जहां लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है, वहीं राज्य में बनी जल नीति 10 साल बाद भी लागू नहीं हो पायी है. जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कई जगह झूठे दावे भी कर रहे हैं। सरकार द्वारा लोगों को शुद्ध पानी के लिए दिया गया पूरा पैसा भी खर्च नहीं हो रहा है. इसका खुलासा CAG रिपोर्ट में हुआ है.
पांच साल में भी पेयजल की मात्रा बढ़ाने में कोई खास सुधार नहीं हुआ है. 2016 में जहां राज्य के 1878 गांवों में रहने वाले लोगों को निर्धारित मात्रा में पानी नहीं मिल रहा था, वहीं 2022 में भी 1737 गांवों के लोग तय मानक के मुताबिक पानी से वंचित रह गये. प्रति व्यक्ति जल आपूर्ति के लिए 10 साल पहले बनी योजना अब तक पूरी तरह क्रियान्वित नहीं हो सकी है.
राज्य में 1737 गांवों में प्रति व्यक्ति 55 लीटर और 9 शहरों में प्रति व्यक्ति 135 लीटर से कम पानी की आपूर्ति की जा रही है. विभाग का दावा है कि सभी घरों में कनेक्शन देकर पानी चालू कर दिया गया है. जबकि सीएजी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि निरीक्षण किए गए 44 गांवों में से 17 गांवों यानी 39 फीसदी गांवों में ऐसे गरीब लोगों के लिए जलापूर्ति की व्यवस्था नहीं थी.
धरती के दोहन पर मुख्यमंत्री भावुक हो गये थे
मुख्यमंत्री पानी बचाने के लिए कई योजनाएं ला रहे हैं. धरती का दोहन कर पानी निकालने पर वे पहले भी भावुक हो चुके हैं। कहा गया है कि धरती मां का दोहन मत करो, लेकिन जनस्वास्थ्य विभाग पानी बचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। पानी की बर्बादी जानने के लिए मीटर भी नहीं लगाए गए हैं।