गुडगाँव न्यूज़: मिलेनियम सिटी में इस साल लिंगानुपात में काफी गिरावट दर्ज की गई. चिंता की बात यह है कि पिछले साल के मुकाबले यह अंतर 40 हो गया है. इस साल एक हजार लड़कों पर 885 लड़कियां हैं, जबकि बीते साल एक हजार लड़कों पर 925 लड़कियां थीं.
गुरुग्राम में लड़कियों का आंकड़ा प्रदेश के औसत से भी कम है. स्वास्थ्य विभाग ने इस पर चिंता जताते हुए इस गिरावट की वजह जानने के लिए जांच शुरू कर दी है. इस साल प्रदेश का औसतन लिंगानुपात 906 है, जबकि बीते साल 916 रहा था. सिविल सर्जन डॉ.वीरेंद्र यादव ने बताया कि यह पता लगाया जा रहा है कि गांवों में सभी महिलाओं का पंजीकरण किया गया था नहीं. सबसे ज्यादा जिन दस गांव में लिंगानुपात में कमी आई है, उन गांव के लोगों से बातचीत कर कारण जाना जाएगा. इसके अलावा इन गांव के डॉक्टर और आशा वर्कर से भी बातचीत की जाएगी. स्वास्थ्य विभाग अवैध रूप से गर्भपात करने वाले, गर्भपात की गोलियां देने वाले और लिंग की पहचान बताने वालों के खिलाफ काफी सख्ती बरत रहा है.
नकारात्मक सोच से बिगड़ रहा लिंगानुपात
जानकारों का कहना है कि बेटियों को लेकर नकारात्मक सोच भी लिंगानुपात को बिगाड़ने का बड़ा कारण है. गर्भ में ही कन्या की हत्या करवाने वाले अनेक मामले हैं. जन्म लेने से पहले ही हजारों रुपये खर्च कर गर्भ में ही बच्चे के लिंग का पता करने का प्रयास किया जाता है. हालांकि, गुरुग्राम में दो गांव ऐसे भी हैं, जहां पर लड़कों के मुकाबले लड़कियां ज्यादा है. वजीराबाद और कादीपुर गांव में लड़कियां ज्यादा होने पर दोनों गांवों को सम्मानित भी किया जा चुका है.
नजरिया बदलने की जरूरत
बता दें कि हरियाणा में लड़कियों की कमी के चलते प्रदेश में सैकड़ों युवक कुंवारे रह जाते हैं. जानकारों का कहना है कि कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो यह समस्या विकराल रूप धारण कर लेगी. लिंगानुपात की स्थिति को बेहतर करने के लिए लड़कियों के प्रति सकारात्मक सोच होनी जरूरी है.