चंडीगढ़ न्यूज़: वित्त मंत्रालय से संबंधित संसद की स्थयी समिति ने साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या और निजी जानकारी से जुड़े आंकड़ों की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंता के बीच सरकार को इनसे निपटने के लिए नियम बनाने का सुझाव दिया है. स्थायी समिति ने सरकार को साइबर संरक्षण प्राधिकरण (सीपीए) के गठन का सुझाव देने के साथ इस प्राधिकरण को ‘एथिकल हैकर्स’ की सेवाएं लेने को भी कहा. भारतीय जनता पार्टी के सांसद जयंत सिन्हा की अगुवाई वाली संसदीय समिति ने सुझाव दिया.संसदीय समिति ने मनरेगा के लिए आवंटित राशि में कटौती पर सरकार की आलोचना की है. समिति ने कहा कि राशि में कटौती से ग्रामीण रोजगार योजना के तहत किए जा रहे काम में बाधा आ सकती है. पैनल ने आवंटन में कटौती के
पीछे का कारण नहीं बताने के लिए ग्रामीण विकास विभाग की भी खिंचाई की.
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 60 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने मनरेगा के लिए 73 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए थे. वहीं बजट में संशोधित अनुमान के अनुसार खर्च 89,400 करोड़ रुपये था. पैनल ने कहा कि यह वित्त वर्ष 2022-23 के संशोधित अनुमान चरण से 29,400 करोड़ रुपये की भारी कमी है. लोकसभा में पेश की गई रिपोर्ट में संसदीय समिति ने बताया कि केंद्र पर इस साल 25 जनवरी तक मनरेगा के तहत मजदूरी में 6,231 करोड़ रुपये और सामग्री वस्तुओं में 7,616 करोड़ रुपये की देनदारियां लंबित थीं.
विभाग ने ठोस जवाब नहीं दिया समिति ने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग ने फंड कटौती पर जवाब में वर्ष 2019-20 से बजट अनुमानित और संशोधित अनुमान चरणों में मनरेगा को आवंटित धन के संबंध में आंकड़े प्रदान किए. हालांकि, समिति ने इस जवाब को अपर्याप्त बताया.