गुडगाँव: एक अक्टूबर से वायु प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) लागू कर दिया जाएगा. इसे बाद उद्योगों के लिए परेशानियां खड़ी हो जाएगी. प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (पीएफटीआई) के वाइस चेयरमैन डॉ. एसपी अग्रवाल ने कहा कि इसको नियंत्रित करने के लिए सरकार को जमीनी स्तर पर काम कराने की आवश्यकता है.
इनका कहना है कि हम पिछले पांच साल से वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार की मांग कर रहे हैं, मगर इस दिशा में कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए गए. यही कारण है कि धरातल पर इसका कोई सुधारात्मक उपाय नजर रहीं आ रहा है.
पीएफटीआई, गुरुग्राम के महासचिव राकेश बत्रा ने कहा कि आने वाले एक अक्टूबर से ग्रेप प्रभावी हो जाएगा. ऐसे में औद्योगिक इकाइयों में 19 केवीए से अधिक क्षमता वाले डीजल जेनरेटर का संचालन प्रतिबंधित हो जाएगा. इनका कहना है कि कोई भी उद्यमी या ट्रेडर अपने यहां डीजल जेनरेटर का संचालन नहीं करना चाहता है. ऐसा करने से उनके उत्पादन की लागत काफी बढ़ जाती है. डीजी सेट चला कर उत्पादन करने का खर्च 30 से 35 रुपये प्रति यूनिट आता है. उद्यमी इसका इस्तेमाल सिर्फ उस समय करना चाहते हैं जब बिजली उपलब्ध नहीं हो. पावर बैकअप के रूप में ही जेनरेटर के संचालन को मजबूतर होते हैं. यदि उन्हें सरकार 24 घंटे निर्बाध बिजली उपलब्ध कराए तो वह डीजल जेनरेटर नहीं चलाएंगे. मौसम चाहे जो हो पावर कट हमेशा उद्योग जगत की परेशानी का कारण बनी हुई है.
वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए स्मॉग टावर लगाए जाएं
पीएफटीआई के वाइस चेयरमैन ने कहा कि पावर इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार, सड़कों से कूड़ा-कचरा हटाना और नए फुटपाथ बनाने का काम बहुत जल्दी किए जाने की जरूरत है. शहर में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए स्मॉग टावर लगाए जाएं. इंडस्ट्री को जो भी परेशानी हो रही है वह सब कुछ सरकारी उदासीनता के कारण. वायु प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सरकार जो भी कह रही है उसमें इंडस्ट्री इंप्रूवमेंट कर रही है. इसके बाद भी उद्योग जगत को परेशान होना पड़े अच्छी बात नहीं है.