रेवाड़ी न्यूज़: नगर निगम में शामिल ग्रेटर के इलाकों में अगले महीने से 12 तालाबों का सौंदर्यीकरण और सड़कों की मरम्मत के कार्य शुरू होंगे. इनमें गलियों की मरम्मत, तालाबों की सफाई और चार गांव बाजरी, बुढैना, नवादा और मुजेड़ी के पांच तालाबों का जीर्णोद्धार भी किया जाएगा.
इसके लिए नगर निगम ने करीब 8.63 करोड रुपये की अलग-अलग करीब 14 निविदाएं जारी की है. नगर निगम ने ग्रेटर फरीदाबाद के इन इलाकों में मूलभूत सुविधाएं दुरुस्त करने के लिए करीब 50 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है.
मलेरना, साहुपुरा, सौतई, चंदावली, मच्छगर, मुजेढी, तिगांव, नीमका, मिर्जापुर, फैजूपुर आदि इलाकों में इंटरलॉकिंग टाइल्स की मरम्मत पर करीब 7.53 लाख और आरएमसी की मरम्मत पर करीब 6.28 लाख रुपये की लागत आएगी. जबकि नीमका, सौतई, टीकावली, नचोली, बडोली, प्रादपुर आदि इलाकों में करीब सात तालाबों की सफाई की जाएगी. बीस साल से इन तालाबों की सफाई नहीं की गई. बाजडी में दो, बुढैना, नवादा और मुजेड़ी के तालाब का जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण किया जाएगा.
ग्रेटर फरीदाबाद के इलाको में गलियों की मरम्मत और तालाबों की सफाई का काम अगले महीने शुरू करा दिया जाएगा. इसकी निविदाएं जारी कर दी गई हैं.
-ओमवीर, अधीक्षक अभियंता, नगर निगम
अमृत सरोवर मिशन के तहत होंगे कार्य
ग्रेटर फरीदाबाद के बाजड़ी, बुढ़ैना, नवादा और मुजेडी के पांच तालाबों का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण किया जाएगा. प्राकृतिक रूप से वर्षा जल संचयन के मददेनजर इन तालाबों को अमृत सरोवर मिशन के तहत जीर्णोद्धार किया जाएगा. साथ ही इनका सौंदर्यीकरण भी किया जाएगा. ताकि लोग वहां सैर आदि भी कर सकें. इन पांच तालाबों के जीर्णोद्धार पर करीब 7.71 करोड़ रुपये की लागत आएगी. नगर निगम ने इनकी अलग-अलग निविदाएं जारी की है. अमृत सरोवर मिशन के तहत बाजड़ी के दोनों तालाबों के जीर्णोद्धार पर 2.90 करोड़ रुपये, बढ़ैना के तालाब के जीर्णोद्धार पर 1.71 करोड़ रुपये, नवादा के तालाब के जीर्णोद्धार पर 1.81 करोड़ रुपये, और मुजेडी के तालाब के जीर्णोद्धार पर 1.26 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
अधिकांश तालाब मानचित्र से गायब
स्मार्ट सिटी के गांवों के अधिकांश तालाब अब नहीं है. मौके पर तालाब की जगहों पर पार्क, सामुदायिक भवन, या फिर अवैध कॉलोनी बसी हुई हैं. जबकि दो तीन दशक पहले तक इन तालाबों में गांव का पानी जमा होता था, जिससे गांव व आस पास भूजल स्तर काफी अच्छा रहता था. 90 के दशक में ये तालाब पानी से लबालब भरे रहते थे. इन गांवों में भूजल स्तर 100 फीट से नीचे रहता था. तालाबा खत्म होने के बाद भूजल का स्तर 300 से 500 फीट नीचे तक हो गया है.