फरीदाबाद न्यूज़: शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने विकास कार्यों के मूल टेंडर के करारों में रकम की बढ़ोत्तरी के लिए अलग-अलग अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंप दी है. नए आदेश लागू होने से अब टेंडर की रकम को बढ़ाने को लेकर कोई विकास कार्य लंबित नहीं रहेगा.
अभी तक इसको लेकर विभाग के काई साफ निर्देश नहीं थे, इस कारण शहर में विकास कार्य काफी दिनों तक लंबित पड़े रहते थे, जिससे स्थानीय लोगों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. मुख्यमंत्री के आदेश के बाद शहरी स्थानीय निकाय ने इसको लेकर आदेश जारी कर दिए हैं.
नगर निगम की तरफ से शहर में किसी भी विकास कार्य के लिए पहले उसका एस्टीमेट बनाया जाता है. उसके बाद टेंडर प्रक्रिया करके निजी एजेंसी का वह काम सौंपा जाता है. निर्माण के दौरान जब इसमें अधिकारी व स्थानीय लोगों की मांग पर बदलाव किया जाता है तो कार्य की लागत जब बढ़ जाती है तो उस टेंडर की रकम को बढ़ाने के लिए एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. एक करोड से कम के कार्य के लिए फाइल मुख्यालय तक पहुंचती थी. इस कारण वह कार्य बीच में कई माह तक बीच में लटक जाता था. अब नए नियम के अनुसार टेंडर की रकम बढ़ाने के लिए अलग-अलग अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है. 20 फीसदी तक की बढोत्तरी मुख्यमंत्री और शहरी स्थानीय निकाय मंत्री इसकी अनुमति दे सकेंगे.
कार्य की लागत से बढ़ने से यह कार्य अटके नगर निगम की तरफ से 14 करोड़ रुपये की लागत से सेक्टर-14 में सामुदायिक भवन का निर्माण किया जा रहा है. तीन साल से इसका निर्माण कार्य चल रहा है. डिजाइन के बदलाव के कारण इसकी लागत करीब ढाई करोड़ रुपये और बढ़ गई है. जिस कारण बीते एक साल से इसका कार्य बीच में ही अटका पड़ा है. वहीं कमान सराय मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण कार्य भी टेंडर होने के बाद तीन साल तक शुरू नहीं हो पाया, जब एजेंसी ने इसकी लागत बढ़ाने की बात कही तो उसका टेंडर रद्द कर दिया, जिस कारण बीते चार साल से मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण कार्य लंबित पड़ा हुआ है. टेंडर की मूल राशि में बढोत्तरी के लिए अभी तक कोई नियम नहीं था, जिस कारण कार्य अटके रहते थे.
एक करोड़ से कम के कार्य में अधिकारी बढ़ा सकेंगे रकम
निगम द्वारा अगर कोई कार्य एक करोड़ से कम है और उस विकास कार्य की लागत 30 फीसदी तक बढ़ती है तो उसमें शहरी स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक उस रकम को बढ़ा सकेंगे. अगर टेंडर की रकम 30 फीसदी से लेकर 50 फीसदी तक बढ़ती है तो इसके लिए प्रस्ताव शहरी स्थानीय निकाय विभाग प्रशानिक सचिव को भेजना होगा. अगर 50 फीसदी से ऊपर भी रकम को बढ़ाना है तो इसके लिए अनुमति सब कमेटी को जाएगी, जिसमें मुख्यमंत्री के साथ विभागीय मंत्री से लेनी होगी. वहीं अगर एक करोड़ से ज्यादा का कोई विकास कार्य है और उसकी निर्माण के दौरान अगर लागत बढ़ती है तो दस फीसदी तक की बढोत्तरी के लिए विभाग की प्रशासनिक सचिव, 10 से 20 फीसदी तक मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री से अनुमति लेनी होगी.