रेवाड़ी न्यूज़: राष्ट्रीय राजमार्ग के मुजेसर मोड़ पर होने वाले जलभराव को खत्म करने की तैयारी शुरू कर दी गई है. इसके लिए मुजेसर फाटक तक नाला बनाया जाएगा. इस पर करीब 49 लाख रुपये की लागत आएगी. नगर निगम ने इसके लिए निविदाएं जारी कर दी हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग से मुजेसर को जोड़ने वाली सड़क के बाईं तरफ यह नाला बनेगा. फिलहाल नाला नहीं होने के कारण इस सड़क पर बारिश और सीवर का गंदा पानी भरा रहता है.
नाला बनने से इस मुजेसर की सड़क और राष्ट्रीय राजमार्ग की सर्विस लेन में जलभराव नहीं होगा. नगर निगम ने इस सड़क के बाईओर करीब डेढ मीटर चौड़ा-गहरा नाला बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. नाला बनने से बारिश का पानी आसानी से निकल सकेगा. अभी नाला नहीं होने के कारण इस सड़क पर और हाइवे की सर्विस लेन पर पानी भरा रहता है. इंद्रा कॉलोनी का पानी भी सड़क पर आता है और सड़क खराब हो जाती है. इस नाले को हाईवे के नाले से जोड़ा जाएगा.
एनएचआईए कर चुका है मांग: हाईवे पर पानी भरने के कारण भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने नगर निगम को कई बार पत्राचार किया है कि मुजेसर सड़क से हाइवे पर आने वाले गंदे पानी को रोका जाना चाहिए. जबकि औद्योगिक संगठन भी यहां नाला बनाने की मांग कर चुके हैं. इसके मददेनजर नगर निगम ने अब इस नाले के निर्माण की प्रक्रिया शुरू की है. दावा किया गया है कि दिसंबर तक इस नाले का निर्माण का काम पूरा कर लिया जाएगा.
इंद्रा कॉलोनी में भरा रहता है पानी: इस नाले के बनने से इंद्रा कॉलोनी के लोगों को भी राहत मिलेगी. फिलहाल नाला नहीं होने के कारण गंदा पानी कॉलोनी में भरा रहता है. कॉलोनी में पानी निकासी का इंतजाम नहीं है. ऐसे में लोग अपने घरों का गंदा पानी गली में बहाते हैं और इस पानी की आगे निकासी नहीं होने के कारण यह गलियो में बहता रहता है. घरो के सामने गंदा पानी भरा होने से बीमारियां फैलने की आशंका बनी रहती है.
स्ट्रीट लाइट लगाने की मांग: मुजेसर फाटक से हाईवे तक नया नाला बनाया जाएगा. इसकी निविदाएं जारी कर दी हैं. नाला बनने से सर्विस रोड पर और इस सड़क पर जलभराव की समस्या खत्म हो जाएगी.
-ओमवीर, अधीक्षण अभियंता, नगर निगम
इस सड़क से सैकड़ों लोगों की आवाजाही होती है. अधिकांश समय सड़क पर पानी भरा होता है और अंधेरा रहता है. स्थानीय निवासी सतीश मित्तल का कहना है कि सड़क पर स्ट्रीट लाइट आवश्यक है. स्ट्रीट लाइट नही होने से रात के अंधेरे में लोग पैदल निकलने से डरते हैं. या फिर लोगों को मजबूरी में चार किलोमीटर का चक्कर काटकर बाटा और बल्लभगढ़-सोहना रेलवे पुल से आते जाते हैं.