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पांच करोड़ रुपये की रिश्वत ली।
हरयाणा | भारत में निर्मित कफ सीरप के पीने से पिछले साल अफ्रीकी देश गांबिया में 66 बच्चों की मौत का मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है। हरियाणा के एक वकील यशपाल ने सोनीपत की सीरप निर्माता कंपनी को बचाने के लिए ड्रग कंट्रोलर पर सैंपल बदलने का आरोप लगाया है। यशपाल की शिकायत पर एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने जांच शुरू कर दी है। वहीं, इस संबंध में हरियाणा ड्रग कंट्रोलर ने कोई जवाब नहीं दिया।यशपाल ने एसीबी को भेजे अपने पत्र में आरोप लगाया है कि सीरप निर्माता कंपनी मेडेन फार्मा से सैंपल लेकर केंद्र सरकार की लैब में जांच के लिए भेजे जाने थे। लैब में सैंपल पहुंचने से पहले ही ड्रग कंट्रोलर ने उन्हें बदल दिया। इसके एवज में ड्रग कंट्रोलर ने कंपनी से पांच करोड़ रुपये की रिश्वत ली।
एडवोकेट यशपाल ने बताया कि उन्होंने 29 अप्रैल को एसीबी को शिकायती पत्र भेजा था। यशपाल ने दावा किया कि उन्हें मेडेन फार्मा कंपनी के दो लोगों ने इसकी जानकारी दी। इसके बाद उन्होंने अपने स्तर पर जांच की और इस मामले से जुड़े कम से कम 40 लोगों से बातचीत की। इस दौरान रिश्वत का पता चला। इस बारे में एसीबी के सूत्रों ने बताया कि कफ सीरप संबंधी शिकायत की जांच चल रही है। वहीं, हरियाणा स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) जी अनुपमा ने बताया कि मामले में पूछताछ चल रही है। इस बीच डब्ल्यूएचओ ने भी कहा कि उन्हें इन आरोपों की कोई जानकारी नहीं है।
गांबिया में 66 बच्चों की मौत के बाद मेडेन फार्मा के कफ सिरप के चार सैंपल जांच के लिए सरकारी लैब में भेजे गए थे। जांच में चारों की गुणवत्ता मानकों पर खरी उतरी थी। वहीं, डब्ल्यूएचओ का कहना था कि इन सिरप के पीने से ही बच्चों की मौत हुई थी।
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