सरकारी दफ्तरों पर निगम का 34 करोड़ बकाया कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा
रेवाड़ी न्यूज़: नगर निगम का सरकारी दफ्तरों पर ही करीब 34 करोड़ रुपये बकाया है. इसे वसूलने का प्रयास नहीं किया गया. इसका खुलासा आरटीआई में हुआ है.
आर्थिक तंगी से जूझ रहे नगर निगम को जिले में करीब 53 सरकारी संस्थानों से संपत्तिकर वसूली का ध्यान ही नहीं आया. कार्यकर्ता अजय सैनी की तरफ से मांगी गई आरटीआई के जवाब आने के बाद से नगर निगम नींद से जागा और इन बकाएदारों को नोटिस देने की तैयारी में जुटा है. अब जिले में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के दफ्तरों से बकाया टैक्स वसूली की योजना तैयार कर रहा है. इन 53 दफ्तरों में से कई ऐसे हैं जिन्होंने बीते कई साल से नगर निगम में संपत्तिकर जमा नहीं कराया है. इन सभी विभागों पर करीब 34 करोड़ रुपये बकाया है. इन विभागों में सबसे ज्यादा हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, बीएसएनएल और अन्य भवनों पर संपत्तिकर बकाया है. नगर निगम के आयुक्त जितेंद्र कुमार, ने बताया कि बकाएदारों की सूची मंगवाई है. जल्द ही इस पर कोई निर्णय लिया जाएगा.
विकास कार्यों पर असर: नगर निगम छोटे-छोटे विकास कार्यो के लिए भी चंडीगढ़ की रुख करता है. जबकि शहर में बकाया वसूली नहीं किया गया. रिहायशी इलाकों में नगर निगम की छोटी-छोटी गलियों को बनाने के लिए भुगतान नहीं होने पर ठेकेदार बीच में छोड़कर चले जाते हैं. पार्कों का रखरखाव नहीं हो पा रहा है. नाले-नालियों की सफाई नहीं बीच में हैं. स्ट्रीट लाइट समय पर नहीं बदली जाती हैं. अगर टैक्स की वसूली ठीक प्रकार से की जाए तो जरूरी छोटे-छोटे काम नगर निगम तुरंत कर सकता है. इससे लोगों को खासी राहत मिलेगी.
नगर निगम की आर्थिक तंगी की स्िथिति यह है कि विकास कार्यों के लिए ही नहीं बल्कि कर्मचारियों को वेतन देने तक के पैसे नही जुटा पाता है. वेतन के लिए भी राज्य सरकार से बार-बार अनुदान मांगता रहता है. इसलिए निगम, कर्मचारियों को भी समय पर वेतन नहीं दे पाता है. इसके अलावा केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के कार्यालयों पर करीब 10.40 करोड़ रुपये बकाया है. जबकि राज्य सरकार के विभिन्न भवनों पर करीब 24 करोड़ रुपये बकाया है.