गुजरात

गुजरात हाई कोर्ट ने लगाई फटकार, 31 पैसे बकाया रहने पर एसबीआइ ने नहीं दी एनओसी

Gulabi Jagat
28 April 2022 12:59 PM GMT
गुजरात हाई कोर्ट ने लगाई फटकार, 31 पैसे बकाया रहने पर एसबीआइ ने नहीं दी एनओसी
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गुजरात हाई कोर्ट ने लगाई फटकार
अहमदाबाद, प्रेट्र। गुजरात हाई कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) को एक किसान की सिर्फ 31 पैसे की बकाया राशि पर भूमि बिक्री मामले में बकाया प्रमाण पत्र जारी नहीं करने पर फटकार लगाई है। गुजरात हाई कोर्ट ने कहा कि यह उत्पीड़न के अलावा कुछ नहीं। बुधवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए गुजरात हाई कोर्ट न्यायमूर्ति भार्गव करिया ने देश के सबसे बड़े ऋणदाता बैंक एसबीआइ द्वारा नो ड्यूज सर्टिफिकेट को रोके जाने पर नाराजगी व्यक्त की है। हाई कोर्ट ने न्यायाधीश ने कहा कि यह उत्पीड़न के अलावा कुछ नहीं है। वहीं, राष्ट्रीयकृत बैंक एसबीआइ का कहना है कि सिर्फ 31 पैसे के लिए बकाया प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाएगा।
जानें, क्या है मामला
याचिकाकर्ता राकेश वर्मा और मनोज वर्मा ने 2020 में किसान शामजीभाई और उनके परिवार से अहमदाबाद शहर के पास खोराज गांव में जमीन खरीदी थी। चूंकि शामजीभाई ने एसबीआइ से लिए गए तीन लाख रुपये के फसल ऋण को चुकाने से पहले याचिकाकर्ताओं को जमीन बेच दी थी, याचिकाकर्ता (जो जमीन के नए मालिक हैं) राजस्व रिकार्ड में अपना नाम दर्ज नहीं कर सके, क्योंकि भूमि के कागज बैंक के पास बंधक थे। हालांकि किसान ने बाद में पूरी राशि बैंक को चुका दी, लेकिन एसबीआइ ने किसी कारण से कोई बकाया प्रमाणपत्र जारी नहीं किया। इसके बाद नए मालिकों ने दो साल पहले गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया।
नाराज हुए जज
बुधवार को सुनवाई के दौरान जब जस्टिस करिया ने बैंक से हाई कोर्ट में नो ड्यूज सर्टिफिकेट जमा करने को कहा तो एसबीआइ के वकील आनंद गोगिया ने कहा कि यह संभव नहीं है, क्योंकि 31 पैसे बकाया है। यह सिस्टम जेनरेटेड है। इस पर न्यायमूर्ति करिया ने कहा कि 50 पैसे से कम की किसी भी चीज को नजरअंदाज किया जाना चाहिए और प्रमाण पत्र जारी किया जाना चाहिए, क्योंकि मूल कर्जदार ने पहले ही फसल ऋण पर पूरे बकाया का भुगतान कर दिया था। जब गोगिया ने कहा कि एसबीआइ प्रबंधक ने मौखिक निर्देश दिया था कि प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा सकता है, तो न्यायाधीश नाराज हो गए और वकील को प्रबंधक को अदालत में पेश होने के लिए कहने का निर्देश दिया। जस्टिस करिया ने कहा कि बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट कहता है कि 50 पैसे से कम की कोई भी चीज नहीं गिना जाना चाहिए। आप लोगों को क्यों परेशान कर रहे हैं? यह आपके मैनेजर द्वारा उत्पीड़न के अलावा और कुछ नहीं है। गोगिया ने इस मामले में हलफनामा दायर करने के लिए समय मांगा। न्यायमूर्ति करिया ने मामले को दो मई को आगे की सुनवाई के लिए रखा है।
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