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नेशनल डेस्क | गुजरात में तूफान की चेतावनी के बीच कच्छ जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। भूकंप से जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है। गांधीनगर स्थित भूकंप विज्ञान अनुसंधान संस्थान ने कहा कि भूकंप कच्छ जिले के भचाऊ से पांच किमी पश्चिम दक्षिण पश्चिम में शाम पांच बजकर पांच मिनट पर महसूस किया गया। रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 3.5 मापी गई है।
मौसम विभाग के अनुसार चक्रवात 'बिपारजॉय' के बृहस्पतिवार शाम तक सौराष्ट्र, कच्छ और आसपास के पाकिस्तानी तटों से गुजरने तथा कच्छ में जखौ बंदरगाह से टकराने की संभावना है। कच्छ जिला "अत्यंत उच्च जोखिम" भूकंपीय क्षेत्र में स्थित है, और वहां कम तीव्रता के भूकंप नियमित रूप से आते रहते हैं। वर्ष 2001 का भूकंप पिछली दो शताब्दियों में भारत में तीसरा सबसे बड़ा और दूसरा सबसे विनाशकारी भूकंप था। इससे कच्छ जिले में बड़ी संख्या में कस्बों और गांवों को व्यापक क्षति हुई थी, हजारों लोग मारे गए थे और 1.67 लाख लोग घायल हुए थे।
गुजरात के कच्छ जिले के जखाऊ बंदरगाह के पास शक्तिशाली चक्रवात ‘बिपारजॉय' की संभावित दस्तक से पहले अधिकारियों ने राज्य के तटीय इलाकों से अब तक लगभग 50 हजार लोगों को निकालकर अस्थायी आश्रय शिविरों में स्थानांतरित किया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बुधवार को बताया कि ‘बिपारजॉय' के गुजरात तट की ओर बढ़ने के साथ सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र को तेज हवाओं एवं भारी बारिश का सामना करना पड़ा। आईएमडी के मुताबिक, ‘बिपारजॉय' के बृहस्पतिवार शाम एक ‘बेहद शक्तिशाली चक्रवाती तूफान' के रूप में 150 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार वाली हवाओं के साथ जखाऊ बंदरगाह के पास कच्छ के मांडवी और पाकिस्तान के कराची के बीच टकराने की संभावना है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को तीनों सेना प्रमुखों से बात की और चक्रवात 'बिपारजॉय' के प्रभाव से निपटने के लिए सशस्त्र बलों की तैयारियों की समीक्षा की। तैयारियों की समीक्षा करने के बाद सिंह ने कहा कि सशस्त्र बल चक्रवात के कारण उत्पन्न होने वाली किसी भी स्थिति से निपटने में हरसंभव सहायता प्रदान करने के लिए तैयार हैं। सिंह ने ट्विटर पर कहा, "तीनों सेना प्रमुखों से बात की और चक्रवात 'बिपारजॉय' के संबंध में सशस्त्र बलों की तैयारियों की समीक्षा की।" उन्होंने कहा, "सशस्त्र बल चक्रवात के कारण उत्पन्न होने वाली किसी भी स्थिति या आपात स्थिति से निपटने में अधिकारियों को हरसंभव सहायता प्रदान करने के लिए तैयार हैं।" राहत और बचाव कार्यों के लिए सेना, नौसेना और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) भी तैयार हैं।
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