छत्तीसगढ़

महिला की याचिका खारिज, पति को तलाक लेने की मिली अनुमति

Nilmani Pal
24 Aug 2024 2:24 AM GMT
महिला की याचिका खारिज, पति को तलाक लेने की मिली अनुमति
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छग

बिलासपुर bilaspur news । पति-पत्नी के संबंधों में खटास के बाद पति ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर तलाक की गुहार लगाई थी। दोनों पक्षों के वकीलों के तर्क को सुनने के बाद डिविजन बेंच ने पति को विवाह विच्छेद की अनुमति दे दी है। तलाक की याचिका को स्वीकार करते हुए डिविजन बेंच ने अपने फैसले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। Chattisgarh High Court

जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की बेंच ने अपने फैसले में लिखा है कि एक ही छत के नीचे साथ रहने के बावजूद बिना किसी पर्याप्त कारण के पत्नी द्वारा घर के अलग कमरे में सोना भी पति के प्रति मानसिक क्रूरता है। डिविजन बेंच ने बेमेतरा के फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। विवाद के बाद पति और घरवालों की समझाइश के बाद पत्नी साथ रहने को राजी हो गई फिर कुछ दिनों बाद फिर विवाद शुरू कर दिया। इस दौरान उसने उसने पति के साथ रहने से ही इन्कार कर दिया। इस पर स्वजनों ने सामाजिक बैठक बुलाई। कोई हल नहीं निकला और सुलह भी नही हुआ। मनमुटाव के चलते पति पत्नी एक ही छत के नीचे अलग-अलग कमरों में रहने लगे।

पति-पत्नी के बीच विवाद को सुलझाने के लिए घर वालों ने पहल करते हुए दोनों पक्षों की कई बार बैठकें बुलाई। आखिर में कहा गया कि दोनों बेमेतरा में जाकर रहें। सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। जनवरी 2022 से दोनों साथ रहने लगे, लेकिन पत्नी यहां भी अलग कमरे में सोती थी। पत्नी के साथ वैवाहिक जीवन नहीं गुजारने के कारण मानसिक रूप से परेशान होकर पति ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 के तहत तलाक की डिक्री के लिए फैमिली कोर्ट में मामला दायर किया। पत्नी ने अपने लिखित बयान में आरोपों से इन्कार किया और पति का मामला खारिज करने की मांग की। पत्नी ने कोर्ट को बताया कि शादी की रात उनके शारीरिक संबंध बने। शादी के बाद अक्टूबर 2021 तक वह और उसके पति ने अच्छे माहौल में शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन बिताया। दोनों साथ रहते थे। जिरह के दौरान पत्नी ने बताया कि उसने पति को कहा था कि उसकी ममेरी बहन के साथ व्यवहार पसंद नहीं आया। लेकिन यह नहीं बता सकी कि पति का ममेरी बहन के साथ कौन सा व्यवहार पसंद नहीं आया। पति ने कहा है कि पत्नी को उसकी भाभी के साथ भी उसके संबंधों पर संदेह था। ऐसे आरोप सभ्य व्यक्ति के लिए सहनीय नहीं कहे जा सकते। मामले की सुनवाई के बाद फैमिली कोर्ट ने पति की याचिका को स्वीकार करते हुए तलाक की डिक्री को मंजूर करते हुए विवाह विच्छेद की अनुमति दे दी थी। फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए पत्नी ने हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। सुनवाई के बाद डिविजन बेंच ने महत्वपूर्ण टिप्पणी के साथ पत्नी की याचिका खारिज कर दी है।

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