छत्तीसगढ़

CG में TI पर लगा रिश्वत मांगने का आरोप, पीड़ित ने SP से की शिकायत

Shantanu Roy
25 July 2024 1:35 PM GMT
CG में TI पर लगा रिश्वत मांगने का आरोप, पीड़ित ने SP से की शिकायत
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Bilaspur. बिलासपुर। ज़िले के तारबहार थाने के प्रभारी गोपाल सतपथी एवं थाने के दो अन्य कर्मचारियों पर ताज ट्रेडर्स के संचालक ने दो लाख रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हुए एसपी कार्यालय में इसकी लिखित शिकायत की है। आरोप है कि तारबाहर पुलिस ने थाने के अंदर ही चार पहिया वाहन में रेलवे का लोहा डलवाया और रेलवे पुलिस को भ्रामक जानकारी देकर प्रार्थी और वाहन चालक को गिरफ्तार करवा दिया। प्रार्थी का आरोप है कि तारबहार थाने के एक आरक्षक ने थाना प्रभारी के आदेश की तामीली करते हुए डरा धमका कर उससे 40 हज़ार रूपए भी ले लिए हैं।

एसपी से की शिकायत
बिलासपुर पुलिस अधीक्षक कार्यालय में लिखित शिकायत देकर मसानगंज निवासी प्रार्थी मोहम्मद फिरोज ने बताया कि ताज ट्रेडर्स नाम की फर्म का वह संचालन करता है जिसके तहत वह पुराने टूटे-फूटे स्क्रैप की खरीदी बिक्री का व्यवसाय करता है। प्रार्थी ने बताया कि 18 जुलाई की दोपहर एक पिकअप वाहन से उसने एल्युमिनियम का स्क्रैप बिल के साथ डिलीवरी के लिए भेजा था जिसे रेलवे के पार्सल ऑफिस के पास तारबहार थाने के दो पुलिसकर्मियों ने रोका, ड्राइवर का मोबाइल छीना और गाड़ी को तारबहार थाने ले गए।


प्रार्थी ने बताया कि वाहन पकड़ लिए जाने की सूचना मिलने पर जब वह तारबहार थाने पहुंचा तो टीआई गोपाल सतपथी ने अपने चेंबर में उससे पूछताछ करते हुए कहा कि “मैं यहां का टीआई हूं, मुझे हर महीने आकर मिला करो। कबाड़ी का काम बिना टीआई से मिले कैसे कर पाओगे” प्रार्थी ने बताया कि टीआई के चेंबर से बाहर निकलने पर दो पुलिसकर्मियों ने उसे थोड़ा किनारे ले जाकर कहा कि टीआई साहब इस गाड़ी और माल के एवज में 2 लाख नकद देने को बोले हैं। प्रार्थी ने बताया कि तारबाहर पुलिस द्वारा बेवजह मांगे जा रहे 2 लख रुपए देने से उसने मना किया तो दोनों पुलिसकर्मियों ने उसे झूठा केस बनाकर जेल भेजने की धमकी दी और पैसे लेने के लिए मानसिक दबाव बनाने लगे। प्रार्थी का कहना है कि तारबाहर पुलिस द्वारा बनाए जा रहे लगातार मानसिक दबाव से परेशान होकर छुटकारा पाने के लिए उसने 40 हज़ार रूपए थाने के एक आरक्षक को श्याम होटल के सामने अपने सहयोगी के हाथ से दिलवाए।
प्रार्थी का कहना है कि 40 हज़ार ले लेने के बाद भी थाने के आरक्षक टीआई के कहने पर रात लगभग पौने बारह बजे तक फोन कर कर के पैसे मांगने के लिए दबाव बनाते रहे। कबाड़ व्यवसायी मोहम्मद फिरोज का आरोप है कि 18 जुलाई की दोपहर उसके पिकअप वाहन को तारबहार पुलिस ने ज़ब्त किया था। फिर 2 लाख की रिश्वत मांगी. रिश्वत न देने की खुन्नस निकालने के लिए उसी रात लगभग 10:30 बजे थाना परिसर के अंदर ही पुलिस ने गाड़ी में रेलवे का कुछ सामान डाला और ड्राइवर को धमकाया कि वह गाड़ी चला कर FCI चौक ताज चले। ड्राइवर ने FCI चौक में गाड़ी खड़ी कर दी। कुछ देर बाद RPF की टीम आई, गाड़ी में लगा तिरपाल खुलवाया और गाड़ी को ज़ब्त कर लिया। व्यवसायी का आरोप है कि ताबबाहर थाने के टीआई गोपाल सतपथी ने मुंहमांगी रिश्वत न मिलने के कारण जानबूझकर उसकी गाड़ी में रेलवे का लोहा डलवाया और कूटरचना कर के उसके खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र किया।
प्रार्थी मोहम्मद फिरोज का कहना है कि उसके पिकअप वाहन में केवल एल्युमिनियम का स्क्रैप था, वह भी बिल के साथ। उसने बताया कि सामान का बिल और जीएसटी व्हाट्सएप के माध्यम से पुलिस को उपलब्ध भी करवा दिया गया था। बावजूद इसके थाना प्रभारी के कहने पर थाने के दो आरक्षकों ने रिश्वत मांगी और यह पूरा षड्यंत्र रचा। अपनी बेगुनाही ही साबित करने के लिए प्रार्थी ने तारबहार थाने में सूचना के अधिकार के तहत आवेदन लगाकर घटना के एक दिन पहले से लेकर एक दिन बाद तक का सीसीटीवी फुटेज मांगा है। प्रार्थी का कहना है कि जब वह तारबहार थाने में आरटीआई का आवेदन जमा करने गया तो थाना स्टाफ ने आवेदन लेने से ही मना कर दिया। मजबूरी में उसे डाक के माध्यम से आवेदन भेजना पड़ा।
मीडिया से बात करते हुए प्रार्थी मोहम्मद फिरोज ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज और फोन कॉल डिटेल आदि की निष्पक्ष तरीके से जांच करने पर तारबहार पुलिस का कृत्य सबके सामने आ जाएगा। उसने यह भी कहा कि यदि उसके द्वारा लगाए गए आरोप झूठे निकले तो कानून उसे जो सजा देगा वह उसे मंजूर होगी। इस पूरे मामले में एक बात तो ज़ाहिर है कि व्यवसायी और तारबाहर पुलिस दोनों में से कोई एक झूठ बोल रहा है। सच-झूठ का ये जिन्न निष्पक्ष जांच के बाद ही बाहर आ सकता है। हालांकि इस बात की उम्मीद कम ही है कि पुलिस पर लगे किसी गंभीर आरोप की निष्पक्ष जांच हो, सच सामने आए और दोषी पर कड़ी कार्रवाई हो जाए। थाना प्रभारी या उससे बड़े ओहदे के पुलिस अधिकारियों पर लगे आरोपों पर अधिकतर तो कोई कार्रवाई ही नहीं होती। इक्का-दुक्का मामलों में किसी को लाइन अटैच कर खानापूर्ति कर दी जाती है। ज़्यादातर मामलों में लंबे समय तक कार्रवाई न होने और तरह-तरह के दबाव झेलने की वजह से शिकायतकर्ता कदम पीछे हटा लेते हैं।
विशेष अभियान चलाकर आम जनता को अपराधों से बचने और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने को कहने वाली बिलासपुर पुलिस पर धमका कर रिश्वत मांगने और मनचाही रिश्वत न मिलने पर षड्यंत्र करके झूठा केस बनवाने का गंभीर आरोप लगा है। यह कोई छोटी घटना नहीं है। पुलिस पर लगे आरोपों की जांच में लीपापोती तो हमेशा से होती आई है लेकिन इतिहास गवाह है कि मामला दबा देने या सेटलमेंट करवा देने वाली लीपापोती ने पुलिस की छवि को हमेशा धूमिल ही किया है चमकता कभी नहीं।

नोट- मामलें की पूरी सच्चाई जानने के लिए थाना प्रभारी से संपर्क करने का प्रयास किया गया मगर उन्होंने फोन का जवाब नहीं दिया। जिसकी वजह से इस मामलें की असलियत अभी सामने आना बाकी है।
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