सरकार और BJP नेताओं को पार्टी में नए आए हुए बहरूपियों से सावधान रहने की जरूरत
छुटभैया कांग्रेसी नेता चला रहे है मिलकर लूटो सिंडीकेट रेती सट्टा दारू का काला कारोबार
रेत के खेल में उतर गए बड़े-बड़े बाहुबली तथाकथित छ्ुटभैया कांग्रेसी नेता
पार्टी की रीति-नीति और अनुशासन की नई परिभाषा लिख रहे है बहरूपिए
भूूपेश सरकार में पांच साल रेती की लूट किया, अभी भी बहरूपिया का चारामा कांकेर में चल रहा खेल
सी ग्रेड ठेकेदार होने का पंजीयन करा कर लाइसेंंस लेकर चल रहा घालमेल
कभी थे दुश्मन, आज के भरोसेमंद साथी कैसे हो गए
भाजपाइयों के नाम पर नाक-भौं सिकोडऩे वाले ये अल्पसंख्यक बहरूपिए नेता बदले हालात में सिर्फ कमाई के मकसद से उनके सबसे भरोसे के साथी बन गए हैं। ऐसे में उन पुराने भाजपाइयों क्या होगा जो पार्टी की सेवा करते जिंदगी बिता दिए और जब मलाई खाने की बारी आई तो किनारे कर दिए गए। भाजपा ने जिन पर भरोसा किया है उनके बारे में पुराने भाजपाइयों से पूछा जा सकता है। यहां कोई स्थायी दुश्मन नहीं, कमाई ही राजनीतिक दलों के नेता अक्सर यह बात कहते हैं कि राजनीति में कोई किसी का स्थायी दुश्मन या दोस्त नहीं होता सब कमाई पर निर्भर करने लगा है।
रायपुर। रेत से तेल निकालने वाली कहावत तो सुनी होगी, जो असंभव को संभव करने वालों के लिए उदाहरण दिया जाता है। लेकिन इस कहावत को छत्तीसगढ़ के तथाकथित नेता अक्षरश: सच साबित कर रहे है। उनके रेत से तेल निकालने का काम बड़े दमखम से नए बहरूपिए भाजपा और कांग्रेसी राज्य में बेखौफ चला रहे है। उन्हें कोई रोकने -टोकने वाला नहीं है। जिस भी नदीं से रेत निकालने की इच्छा होती है, वो वहां से रेत निकालने में सफल हो जाते है। इसके पीछे के कारणों पर नजर डाले तो एक बात साफ नजर आती है कि सरकारें तो आती-जाती है लेकिन अधिकारी तो वही रहते है। जो उन्हें मोटे प्रतिफल के बदले में लाभ पहुंचाते रहते है। Congress, BJP
chhattisgarh news रेत के खेल में बड़े-बड़े बाहुबली उतर गए है। जिन्हें रेत खनन के लिए पीट पास भी लेने की आवश्यकता नहीं होती है। वो एसडीएम-तहसीलदार, ग्राम सचिव और सरपंच को सामने खड़े करके रेत निकाल लेते है। पीट पास की फारमेल्टी तो है, जो नए नवेले ठेकेदारों को लेनी पड़ती है। जो मंत्री-विधायक या राजनीति के खाटी नेता और अफसर के रिश्तेदार या बेटे इंजीनियरिंग करने के बाद बेरोजगार होते है तो उनके नाम से सी ग्रेड ठेकेदार होने का पंजीयन करा कर लाइसेंंस ले लेते है और धीरे-धीरे लुटेरे सिंडीकेट के सदस्य बन जाते है। जिस नदी से रेत निकालने का ठेका लिया है, वहां से तो निकालते ही है उसके आसपास के सभी गावों से भी रेत निकालने में कोताही भी नहीं बरतते है। रेत किसी की भी नदी का हो एक बार लाइसेंस लेने के बाद नदी उनकी बपौती हो जाती है। उन्हें सरकार किसकी है इससे कोई मतलब नहीं है। उनके काम में कोई भी दखल नहीं देता है।
SDM सौहार्द की ऐसी मिसाल देखना है तो राजनीतिक पार्टियों में देखने को मिल रही है। तमाम पुराने गिले-शिकवे भूल कर कोई भाजपा हो गया है तो कोई कांग्रेस या अन्य दलों में। जिन लोगों को कमाई करना है वे सत्तारूढ़ पार्टियों में रहना पसंद करते हैं क्योंकि उनका उद्देश्य ही धनोपार्जन होता है। भाजपा जब से सत्ता में आई है प्रवेश करने वालों की लम्बी फेहरिस्त है लेकिन भाजपाई खुद भूल रहे हैं की ये आयातित नेता कहीं न कहीं पार्टी को नुकसान पहुचायेंगे। भाजपा में शामिल हुए लोग मंत्रियों और बड़े पार्टी नेताओं के वीडियो भी बना रहे हैं इनका काम जुआ सत्ता गैरकानूनी काम ही प्रमुख है। रेत खदान हो या गिट्टी खदान इनकी पैनी नजर रहती है मंत्रियों और संगठन के नेताओं से बनाकर ये अपना उल्लू सीधा करते हैं। बहरूपिए नेता मख्मूर जिसका कांकेर और चारामा में पूरे पांच साल रेत खदान चला है ऐसे कई भाजपा और कांग्रेस के नेता हैं जो एक दूसरे से सांठगांठ कर जमकर प्रदेश को चूना लगाए हैं।