बिजनेस मैन से नेता बने चर्चित नंबर वन बिल्डर का कारनामा...
- सरकारी कोटवारी जमीनों पर बहुमंजिला इमारत खड़ा रहे बिल्डर
- नेताओं-अधिकारियों के सांठगांठ से चल रहा पूरा खेल
- नए-नए पार्टी के नेता बने पुराने बिल्डर का कमाल अपने को बताते हैं छग का नंबर वन रियल स्टेट कंपनी
- हाऊसिंग बोर्ड की कालोनी का मकान तोड़कर अपने ले आउट प्लान के लिए रास्ता बनाया
- 36 सिटी माल के बाजू की कोटवारी जमीन को अवैध रूप से अपने प्रोजेक्ट में शामिल किया
सरकारी जमीनों पर बहुमंजिला इमारत खड़ा कर रहे बिल्डर
- सरकारी जमीन पर कब्जा ऐसे - अफसरों का कहना है कि अधिकांश बिल्डरों ने किसानों से खेती की जमीन खरीदी है। उदाहरण के तौर पर जब बिल्डर किसान से जमीन खरीदता है तो वह किसान से कागज में मौजूद दो एकड़ जमीन की ही रजिस्ट्री कराता है। मगर कब्जा ढाई एकड़ पर लेता है। किसान अपनी जमीन के साथ आसपास की जमीन पर भी बुआई कर देता है। बिल्डर कब्जे की सरकारी जमीन का अलग से पैसे देता है। इसका दस्तावेजी प्रमाण नहीं होता है। इस तरह सरकारी जमीन भी बिल्डर के कब्जे में आ जाती है।
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी रायपुर और उससे लगे आस-पास के इलाकों में सरकारी खाली जमीनों पर कब्जा कर प्लाटिंग और हाउसिंग प्रोजेक्ट डेव्हल्प कर बिल्डर रियल स्टेट कारोबारी सरकार को बड़े राजस्व की हानि पहुंचा रहे हैं। अपनी राजनीतिक रसूख और अधिकारियों से सांठगांठ कर ये भू-माफिया करोड़ो का प्रोजेक्ट लांच कर अपनी तिजोरी भर रहे हैं। सरकारी जमीनों से लगे किसानों की कृषि जमीनों को औने-पौनेे दाम पर खरीद कर सरकारी जमीनों की पटवारियों व राजस्व अधिकारियों की मिली भगत से फर्जी दस्तावेज तैयार कर कई बड़े-बड़े बिल्डर अपना धंधा चमका रहे हैं। ऐसे कई मामले सामने आए जिसमें बिल्डरों ने खरीदे हुए जमीन के बीच में आने वाली सरकारी जमीनों और सड़क व रास्ते के जमीनों को दबा कर अपने आलिशान प्रोजेक्ट तैयार किए। सरकारी जमीन के साथ कई निजी जमीनों को भी कूटरचना कर इन बिल्डरों ने लोगों के साथ धोखाधड़ी की। शहर से लगे माना, नवा रायपुर, मुजगहन, डूंडा, बोरियाखुर्द, बोरियाकला, सरोना, चंगोराभाठा, डूमरतालाब, गोगांव, गोंदवारा, बिरगांव, भनपुरी, सिलतरा, खम्हारडीह, कचना आदि इलाके की खाली जमीनों पर कब्जा कर प्लाटिंग करने के सौ से अधिक शिकायतें रायपुर और बिरगांव नगर निगम तक पहुंची है जिसपर कार्रवाई भी हो रही है। अवैध प्लाटिंग के मामले में नगरीय निकायों ने कई छोटे-बड़े बिल्डरों और सहयोगियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाए हैं। हालाकि दूसरों की जमीन पर जबरिया कब्जा कर उसे प्लाटिंग कर बेचने की कोशिश करने वाले बिल्डर, उनके पार्टनरों के राजनीतिक रसूख के चलते छोटी शिकायतों पर तो पुलिस और नगर निगम ने कार्रवाई की, लेकिन जिस जमीन पर बड़े भू-माफियाओं के नाम जुड़े निकले, उन शिकायतों को जांच के नाम पर या तो रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया या फिर पीडि़त पक्ष को कोर्ट जाने की सलाह देकर जिम्मेदारों ने अपने हाथ खींच लिए।
खाली जमीनों-प्लाटों पर बिल्डरों का कब्जा
रायपुर जिले में पिछले कई सालों से दूसरे की खाली और सरकारी जमीन पर कब्जा कर उसे बेचने का खेल चला आ रहा है। खासकर शहर के आउटर इलाके की खाली जमीन छोटे-बड़े बिल्डरों के निशाने पर है। प्रशासन चाहकर भी इस पर लगाम कसने में नाकाम है। हालांकि, कुछ शिकायतों पर नगर निगम अमले ने कार्रवाई भी की है, लेकिन ये वह जमीन है, जो सरकारी है। आम लोगों की जमीन पर कब्जे की शिकायतों पर न तो पुलिस कार्रवाई कर रहा है और न ही प्रशासन ही कारगर कदम उठा रहा है। पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए बिल्डरों ने सत्तापक्ष के नेताओं को भी साध रखा है। यही वजह है कि करोड़ों की जमीन हथियाने का खेल आउटर इलाके में चल रहा है। शहर के सबसे बड़े बिल्डर जो अपने हर प्रोजेक्ट में जंगल को किसी न किसी रूप में शामिल करता है उसने भी कबीरनगर हाऊसिंग बोर्ड में मकान खरीद कर पिछे रास्ता बनाया गया जो कि कानून के अंर्तगत अवैध माना जाता है। एक स्वीकृत ले आउट प्लान के अंदर दूसरा ले आउट प्लान के लिए रास्ता शासकीय जमीन से ले जाने का आरोप। रास्ते की जमीन को दबाकर अपना प्रोजेक्ट खड़ा किया, इसके अलावा 36 सिटी माल के पास निर्माणाधीन प्रोजेक्ट में भी सरकारी जमीन दबाने के साथ कचना रोड़ के रास्ते की शासकीय भूमि छोटे जंगल की भूिम और बड़े झाडों का जंगल अपने प्रोजेक्ट में अवैध रूप में कब्जा लिया। जिसकी उच्च स्तरीय जांच करने की उपरांत ही सच्चाई उजागर हो सकती है। सड्डू में नाले की जमीन पर अतिक्रमण करने की बात सामने आई है।
आउटर की जमीन निशाने पर
अवैध प्लाटिंग को लेकर सबसे ज्यादा खेल आउटर इलाके में किया जा रहा है। कुछ साल पहले ही गोगांव, गोंदवारा, भनपुरी, सिलतरा में 25 एकड़ से ज्यादा सरकारी जमीन को ग्रीनलैंड में तब्दील करने का पर्दाफाश हुआ था। वहां कई लोगों ने सरकारी और घास जमीन पर अवैध प्लाटिंग और कब्जा कर लोगों को बेचने की कोशिश की थी। इन सभी जगहों की जमीन पर निगम ने बाउंड्रीवाल बनाकर उसे ग्रीनलैंड में तब्दील किया था। जिस कृषि भूमि पर बिना अनुमति के अवैध प्लाटिंग की गई है, खेती की जमीन पर अवैध प्लाटिंग होने पर पूरे क्षेत्र की जमीन को फिर से ग्रीनलैंड में बदला जाएगा। मास्टर प्लान में जो क्षेत्र कृषि या आमोद-प्रमोद का है और वहां अवैध प्लाटिंग की गई है उसे फिर से ग्रीनलैंड में तब्दील किया जाएगा।
फर्जी दस्तावेज कर लेते हैं तैयार
दूसरों की खाली जमीनों को जानबूझकर बिल्डर विवादों में लाते हैं। जमीन मालिक उस जमीन को खोने के डर से विवश होकर सस्ती दरों पर भी बेचने के लिए तैयार हो जाता है। ऐसे में मध्यस्थता निभाने के लिए क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि या बड़े छुटभैय्ये नेता आगे आते हैं। उनके द्वारा इन जमीनों को अपने खास लोगों को सस्ती दरों पर दिलवा दिया जाता है। इस तरह से महंगी जमीन भी सस्ती दर पर भू-माफियाओं को मिल जाती है। ऐसी कई शिकायतें पुलिस के पास पहुंचती है, जिसमें जमीन पर जानबूझकर कब्जा करने या उसके फर्जी दस्तावेज तैयार करने का मामला सामने आता है। पुलिस ऐसे लोगों को चिह्नित जरूर करती है, लेकिन उन पर कार्रवाई करने में सालों लगा देती है।
फर्जी रजिस्ट्री से लेआउट का अप्रुवल
सालों पहले बिल्डर संजय बाजपेयी की कॉलोनी न्यू स्वागत विहार में फर्जी रजिस्ट्री कराकर लेआउट अप्रूवल कराने का मामला सामने आया था। जिसके बाद टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने बड़े कॉलोनाइजरों की लेआउट और नक्शे की जांच कराया था। न्यू स्वागत विहार में हुए जमीन के फर्जीवाड़े में टाउन प्लानिंग विभाग के आला अफसर जाहिद अली का भी नाम आया था। जांच रिपोर्ट के आधार पर उनको निलंबित कर दिया गया था। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के डायरेक्टर ने सभी जिला दफ्तरों के संचालकों को पत्र लिखकर वे 2007-08 के बाद जितनी भी कॉलोनियों के लेआउट पास हुए हैं, उनकी बारीकी से जांच करने का कहा था। जांच के दौरान राजधानी के आधा दर्जन से अधिक बड़े बिल्डरों की कॉलोनियों के लेआउट प्लान की जांच की बात कही गई थी। जिन बिल्डरों के लेआउट और नक्शे पास हुए , उनकी जमीन के आसपास की सारी सरकारी जमीन की जानकारी निकाल कर सरकारी जमीन को स्वीकृत लेआउट जमीन के साथ सुपर इंपोज करके जांच करने को कहा गया था। इसकी जांच के लिए एक विशेष टीम में गठित की गई थी। लेकिन इसके बाद मामले में आगे की जांच को लेकर कोई खुलासा सामने नहीं आया।
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