छत्तीसगढ़

ट्रिपल मर्डर के आरोपी को कोर्ट ने सुनाई मृत्युदंड की सजा

Nilmani Pal
14 Aug 2024 8:00 AM GMT
ट्रिपल मर्डर के आरोपी को कोर्ट ने सुनाई मृत्युदंड की सजा
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बिलासपुर bilaspur news। जिले के मस्तूरी तहसील के हिर्री गांव में एक दर्दनाक, भयावह घटना ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया था। नए साल की जश्न के बीच पति ने अपनी पत्नी और तीन मासूम बच्चों की बेरहमी से हत्या कर दी थी। इस जघन्य अपराध के लिए जिला न्यायालय ने आरोपी उमेंद्र केवट को मृत्युदंड की सजा सुनाई है। इस फैसले को "रेयरेस्ट ऑफ द रेयर" मामलों में से एक माना गया है। Masturi Tehsil

1 जनवरी 2024 की रात, जब पूरा देश नए साल के जश्न में डूबा हुआ था, हिर्री गांव में उमेंद्र केवट (34) ने अपनी पत्नी सुक्रिता केवट (32) और तीन बच्चों—खुशी (5), लिसा (3), और 18 महीने के पवन—की गला घोंटकर हत्या कर दी। उमेंद्र केवट के परिवार ने नए साल के जश्न के रूप में केक काटा और रात्रि भोज किया। परिवार ने पूरे उल्लास के साथ जश्न मनाया, और उसके बाद सभी सोने चले गए। परंतु, कोई नहीं जानता था कि उमेंद्र के मन में अपनी पत्नी के चरित्र पर शक की आग जल रही थी, जो इतनी भयानक होगी कि वह अपने ही परिवार का संहार कर देगा।

हत्या की वजह उमेंद्र केवट की अपनी पत्नी पर चरित्र शंका थी। घटना की रात जब सुक्रिता बाड़ी में गई थी, तो उमेंद्र ने पीछे से जाकर नायलॉन की रस्सी से उसका गला घोंट दिया। इसके बाद, उसने घर के अंदर सो रहे अपने तीन मासूम बच्चों का भी एक-एक करके गला घोंट दिया। घटना की जानकारी सुबह गांव वालों को मिली, तो हड़कंप मच गया। उमेंद्र ने खुद पुलिस थाने जाकर इस हत्या की जानकारी दी, जिससे पुलिस भी स्तब्ध रह गई। पुलिस ने तत्काल मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। जांच के दौरान, पुलिस ने पाया कि सभी की मौत गला घोंटने से हुई थी। पुलिस ने तत्परता से कार्रवाई करते हुए चार महीने के भीतर चालान पेश किया।

मामले की सुनवाई दशम अपर सत्र न्यायाधीश अविनाश के. त्रिपाठी की अदालत में हुई। शासन की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक लक्ष्मीकांत तिवारी और अभिजीत तिवारी ने सभी साक्ष्यों और गवाहों को पेश किया। अभियोजन पक्ष ने अदालत में यह साबित किया कि उमेंद्र ने सोची-समझी योजना के तहत अपने पूरे परिवार की हत्या की थी। उन्होंने पोस्टमार्टम रिपोर्ट, घटनास्थल से मिले साक्ष्य, और गवाहों की गवाही के आधार पर यह स्थापित किया कि यह अपराध न केवल क्रूर था बल्कि इसके पीछे कोई पश्चाताप भी नहीं था।

दशम अपर सत्र न्यायाधीश अविनाश के. त्रिपाठी ने मामले की त्वरित सुनवाई करते हुए, इस अपराध को "रेयरेस्ट ऑफ द रेयर" मानते हुए उमेंद्र केवट को मृत्युदंड की सजा सुनाई। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि उमेंद्र केवट ने जिस निर्ममता से अपने परिवार की हत्या की, उसके लिए मृत्युदंड ही उचित सजा है। इसके अलावा, अदालत ने उमेंद्र को 10 हजार रुपये के अर्थदंड से भी दंडित किया। यदि उमेंद्र यह रकम अदा नहीं करता है, तो उसे तीन महीने की अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।

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