![शिक्षिका की नियुक्ति फर्जी, विभाग पर बचाने के आरोप शिक्षिका की नियुक्ति फर्जी, विभाग पर बचाने के आरोप](https://jantaserishta.com/h-upload/2024/08/15/3951349-k.webp)
रायपुर raipur news। प्रदेश में अपने तरीके के अनोखे मामले में दो विभागीय जांच में दोषी साबित हो चुकी महिला शिक्षिका चंद्ररेखा शर्मा को बचाने में स्कूल शिक्षा विभाग जुटा हुआ है यही वजह है कि सरगुजा जेडी के बाद बिलासपुर जेडी द्वारा तैयार की गई जांच टीम ने भी अपनी रिपोर्ट में महिला शिक्षिका की नियुक्ति को पूरी तरह फर्जी बताते हुए कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के अनुशंसा की है और बाकायदा नोटशीट चलाकर जेडी कार्यालय को यह रिपोर्ट 119 पन्नों के दस्तावेज के साथ सौंपी गई है लेकिन हैरान करने वाली बात है कि जेडी बिलासपुर ने यह रिपोर्ट राज्य कार्यालय को भेजी ही नहीं है । सूत्रों के हवाले से तो यह भी निकाल कर सामने आ रहा है कि जांच टीम द्वारा महिला शिक्षिका की नियुक्ति को फर्जी करार दिए जाने के बाद अब जेडी बिलासपुर एक बार फिर दूसरे टीम के द्वारा मामले की जांच कराने जा रही है अगर ऐसा है तो फिर रिपोर्ट में फेरबदल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता । बड़ा सवाल यह है की जेडी बिलासपुर ने अपने ही संयुक्त संचालक के द्वारा दिए गए रिपोर्ट को राज्य कार्यालय को अब तक क्यों प्रेषित नहीं किया है जबकि रिपोर्ट मिलें लगभग 15 दिन गुजर चुके है। Female teacher Chandrarekha Sharma
शिक्षक नेता और व्याख्याता संजय शर्मा की पत्नी चंद्ररेखा शर्मा द्वारा फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर बिना नियुक्ति ही फर्जी ट्रांसफार्मर आदेश बनाकर शिक्षिका की नौकरी प्राप्त करने की शिकायत हुई थी। इसमें शिकायतकर्ता हरेश बंजारे ने बताया था कि 11 जनवरी 2007 को चंद्ररेखा शर्मा पति संजय शर्मा की नियुक्ति जिला जशपुर के पत्थलगांव नगर पंचायत द्वारा शासकीय प्राथमिक शाला दर्रापारा (उरांवपारा) में होना बताया गया है इसके बाद उनका स्थानांतरण 6 माह बाद 11 जुलाई 2007 को पत्थलगांव से जनपद पंचायत, बिल्हा किया गया और इस आदेश में उनकी पदस्थापना शासकीय प्राथमिक शाला, मोपका में की गई जहां वह 17 सालों से कार्यरत हैं। शिक्षाकर्मियों का शिक्षा विभाग में संविलियन होने के बाद उनकी अंक सूची और नियुक्ति फर्जी होने की शिकायत की गई। इसमें बताया गया कि चंद्ररेखा शर्मा की नियुक्ति नगर पंचायत, पत्थलगांव में हुई ही नहीं है। उसने दूसरे के नियुक्ति आदेश में अपना तबादला बिल्हा कराया। इस शिकायत की जांच के लिए संयुक्त संचालक आरपी आदित्य द्वारा गठित तीन सदस्यीय टीम में जेडी ऑफिस के सहायक संचालक मुकेश मिश्रा, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हाटी ब्लॉक धरमजयगढ़ जिला रायगढ़ के प्राचार्य एस. आर. सिदार और शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मदनपुर ब्लॉक खरसिया जिला रायगढ़ के प्राचार्य एल. एन. पटेल को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई। उक्त टीम ने पत्थलगांव जाकर जांच की। इसमें पाया कि नगर पंचायत, पत्थलगांव और दर्रापारा स्कूल में चंद्ररेखा शर्मा की नियुक्ति का कोई रिकार्ड नहीं है। जिस साल में उनकी भर्ती की बात कही जा रही है, उस साल के शिक्षाकर्मी भर्ती में उनका नाम तक नहीं है। जांच टीम ने शिकायतकर्ता की पूरी बातों को सही पाया है। इसके आधार पर रिपोर्ट तैयार कर जेडी आदित्य को सौंप दी है।
बारहवी में 43 प्रतिशत वाली सामान्य महिला को आखिर कैसे मिल सकती थी नियुक्ति!
दरअसल सामान्य वर्ग से आने वाली चंद्ररेखा शर्मा की नियुक्ति की संभावना शिक्षा विभाग में थी ही नहीं क्योंकि उनका 12वीं में महज 43% है जबकि मूल रूप से नियुक्त हुई शिक्षिका नीलम टोप्पो आदिवासी वर्ग से आती है और उनका 12वीं में 65% है इसलिए शासकीय प्राथमिक शाला दर्रापारा ( उरांवापारा) विकासखंड पत्थलगांव में नीलम टोप्पो की ही नियुक्ति हुई थी जिसके आदेश की कॉपी करके और फर्जी स्थानांतरण आदेश तैयार करके महिला शिक्षिका चंद्ररेखा शर्मा ने बिल्हा विकासखंड में नौकरी हथिया ली । फर्जीवाड़े का आलम यह था कि जनपद पंचायत बिल्हा ने जनपद पंचायत पत्थलगांव के नाम पर एनओसी जारी किया था जिसे कांट छांट कर नगर पंचायत पत्थलगांव के नाम पर बनाया गया और साथ ही जो फर्जी स्थानांतरण आदेश तैयार किया गया उसमें नगर पंचायत पत्थलगांव ने चंद्ररेखा शर्मा की नियुक्ति सीधे शासकीय प्राथमिक शाला मोपका में की जो कि उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर का है । एक नगर पंचायत अन्य जिले के अन्य जनपद पंचायत में किसी शिक्षक की पदस्थापना आदेश जारी कर ही नहीं सकता । जांच टीम ने जब महिला शिक्षिका को उसे बैंक अकाउंट की जानकारी उपलब्ध कराने को कहा जिसमें उसे पत्थलगांव में सेवा देने की एवज में वेतन भुगतान किया गया हो तो महिला शिक्षिका वह भी उपलब्ध नहीं करा सकी । यही नहीं सर्विस बुक में शुरुआती पेज में विकासखंड शिक्षा अधिकारी बिल्हा के हस्ताक्षर हैं जबकि इसमें पत्थलगांव के अधिकारियों के हस्ताक्षर होने चाहिए , सर्विस बुक में जिन गवाहों ने हस्ताक्षर किए हैं वह भी बिलासपुर में पदस्थ है उन्होंने भी जांच टीम को बताया कि उन्होंने 2018 में ही सर्विस बुक में हस्ताक्षर किया है और बीईओ बिल्हा ने भी स्वीकार किया कि उनके द्वारा 2018 में ही सर्विस बुक में महिला शिक्षिका का सत्यापन किया गया है । इतनी सारी गड़बड़ियों के पकड़ में आने के बाद भी विभाग द्वारा महिला शिक्षिका को अभयदान दिया जाना आश्चर्यचकित करता है।