
धमतरी। कुरुद अंचल के अधिकांश गांवों में रविवार से सवनाही तिहार मनाने की शुरुआत हो गई है। इस बीच गांव के गांव के कोटवार ने बाकायदा मुनादी करके ग्रामीणों को सूचना दे दी है। रविवार से सावन भर एक दिन का सामूहिक अवकाश रहेगा। इस दौरान गांव वालों को कोई भी काम नहीं करने की मनाही होती है।
छत्तीसगढ़ में बारह महीने कोई न कोई त्यौहार मनाया ही जाता है। वहीं रथयात्रा के बाद सावन माह से छत्तीसगढ अंचल में त्यौहारों की झड़ी लग जाती है। यहां के लगभग सभी त्यौहार कृषि कर्म से जुड़े हुए हैं। पुरानी रूढ़ि अनुसार सावन के महीनें टोना-टोटका एवं जादू मंतर का भी जोर रहता है। ग्रामीण अंचल के लोग टोना- टोटका को मानते हैं और जादू टोना से गाँव के जान-माल की रक्षा के लिए गाँव के देवता की पूजा की जाती है। उसे होम-धूप देकर प्रसन्न किया जाता है और उससे विनती की जाती है कि गाँव में किसी तरह रोग-शोक, बीमारी और विघ्न बाधा न आए।
सवनाही तिहार परम्परा पर ग्रामीणों ने बताया कि, आषाढ के अंतिम सप्ताह या सावन के प्रथम सप्ताह में आने वाले प्रथम रविवार को सवनाही तिहार मनाने की परम्परा सदियों से चली आ रही है। इस त्यौहार को मनाने के पीछे उद्देश्य है कि जादू-टोना हारी-बीमारी से गाँव के जन, गाय, बैल, भैंस, बकरी, भेड़ एवं अन्य पालतू जीव जंतुओं की हानि न हो। गाँव में चेचक, हैजा जैसी बीमारियां प्रवेश न करें। इस दिन गाँव में सभी कार्य बंद रहते हैं जिसकी मुनादी एक दिन पहले शनिवार की शाम गांव के कोटवार के माध्यम से करवा दी जाती है।