छत्तीसगढ़

कपट करोगे तो निपट जाओगे : पं. नितिन जैन

Nilmani Pal
12 Sep 2024 2:39 AM GMT
कपट करोगे तो निपट जाओगे : पं. नितिन जैन
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रायपुर raipur news। पर्वाधिराज दशलक्षण महापर्व के पावन अवसर पर तीसरे दिन उत्तम शौच धर्म की आराधना की गई । श्री दिगम्बर जैन खंडेलवाल मंदिर जी, सन्मति नगर, फाफाडीह, रायपुर में प्रातःकाल भक्तों ने मंदिर जी में अभिषेक शांतिधारा से लेकर पर्व पूजाएं कर धर्मलाभ लिया। भाद्र शुक्ल अष्टमी के दिन जैन धर्म के नवमें तीर्थकर भगवान पुष्पदन्त जी को मोक्ष प्राप्त हुआ था । मंदिर समिति ने भगवान पुष्पदन्त जी का मोक्ष कल्याणक महोत्सव धूमधाम से मनाया । सर्वप्रथम मूल वेदी में भगवान पुष्पदन्त जी को निर्वाण लाडू चढ़ाया गया । इसके बाद महाआरती की गई । मूल वेदी में शांतिधारा, निर्वाण लाडू चढ़ाने एवं महाआरती का सौभाग्य समिति के अध्यक्ष अरविंद - मोना, आयुष साक्षी, अनुज बड़जात्या परिवार को प्राप्त हुआ। chhattisgarh news

समिति के अध्यक्ष अरविंद बड़जात्या ने बताया कि चतुर्थ दिवस उत्तम शौच धर्म के अवसर पर प्रथम तल में भगवान पार्श्वनाथ की वेदी पर शांतिधारा का सौभाग्य अशोक कुमार प्रशान्त कुमार पाटनी परिवार को प्राप्त हुआ । भगवान मुनिसुव्रतनाथ की वेदी पर शांतिधारा श्री गौरव कुणाल जैन द्वारा की गई।

संध्या समय श्रीमती उषा लोहाड़िया एवं श्रीमती वर्षा सेठी के निर्देशन में श्रावक प्रतिक्रमण कराया जा रहा है। इसकी पूर्व संध्या उत्तम आर्जव धर्म के दिन, शास्त्र सभा में स्थानीय विद्वान पं. नितिन जैन 'निमित्त' ने बताया कि आर्जव धर्म का अर्थ है ऋजुता यानि सरलता । संक्लेशित परिणामों का त्याग कर अपने आप को नम्र बनाते हुए स्पष्टवादी बनना और अपने आचरण को सरल रखना सो उत्तम आर्जव है | आर्जव यानि छल कपट का त्याग करना । जो छली हो या कपट भावना से भरा हो उससे भी दूर रहना । अपने जीवन यापन के लिये भी कपटपूर्ण या मायाचारी से धन नहीं कमाना चाहिये । कपट से कमाया धन दस वर्षों तक ही साथ रहता है । ग्यारहवें वर्ष में वह धन समूल नष्ट हो जाता है।

कपट करने से समाज में मान भी चला जाता है । लोग नीची दृष्टि से देखते हैं। कपट छुपाए ना छुपे छिपे ना मोटा भाग। दाबी दूबी ना रहे, रुई लपेटी आग। बिना बुलाए बोलने की प्रवृत्ति न रहे, वाणी में मधुरता का समावेश हो, निश्चल व्यवहार हो वो भी भीतर बाहर एक जैसा तभी उत्तम आर्जव जीवन में प्रवेश करेगा । संत कहते हैं कपट करोगे तो निपट जाओगे । इसलिये कपट की प्रवृत्ति से बचना चाहिये।

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