छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ियों ने लंदन में ‘अरपा.. पैरी के धार.. की धुन पर किया नृत्य

Nilmani Pal
22 Aug 2024 6:53 AM GMT
छत्तीसगढ़ियों ने लंदन में ‘अरपा.. पैरी के धार.. की धुन पर किया नृत्य
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रायपुर raipur news। छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया.. यूं ही नहीं कहा जाता। छत्तीसगढ़ और यहां के रीति-रिवाज की धमक अब विदेशों में भी देखने को मिल रही है। जी हां, अमेरिका के वाशिंगटन प्रांत के सिएटल की धरती पर भारतीय स्वतंत्रता की वर्षगांठ बड़े ही धूमधाम से मनाई गई। अरपा..पैरी के धार.. के साथ हाय..डारा लोर गेहे रे.. जैसे ख्यातनाम छत्तीसगढ़ी गीतों पर यहां के लोगों ने छत्तीसगढ़ मूल के रहवासियों के साथ नृत्य किया। भारतीय स्वतंत्रता की याद में आयोजित विदेशी धरती के समारोह में इंडिया डे परेड के बाद छत्तीसगढ़ियों ने एक-दूसरे को बधाई दी, मिठाईयां बांटी। समारोह में छत्तीसगढ़ी संस्कृति और समृद्धि का बेजोड़ प्रस्तुतिकरण किया गया। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने सफल आयोजन की बधाई देते हुए कहा कि उन्हें ख़ुशी है कि विदेशों में भी छत्तीसगढ़ की संस्कृति की धूम मची हुई है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़िया लोग अपनी मिट्टी से दूर रहकर भी उसकी संस्कृति को लेकर चल रहे हैं यह गर्व की बात है। chhattisgarh news


chhattisgarh इंडिया डे परेड में “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया” की गूंज

अमेरिका के वाशिंगटन प्रांत के सिएटल में पहली बार आयोजित इंडिया डे परेड में “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया” के नारे गूंजे। छत्तीसगढ़ी गीतों पर नृत्य करते हुए यहां के लोग छत्तीसगढ़ की संस्कृति का अनूठा प्रदर्शन कर रहे थे।

विदेशी धरती पर महिलाओं का पारंपरिक वेशभूषा

कार्यक्रम में महिलाएं पारम्परिक वेशभूषा में संस्कृति को सहेजने की सन्देश पूरी दुनिया को दे रही है। गले में कटली मोहर, कान में खुटी, हाथ और भुजा में नागमोरी बहुटा पहुची और कलाई में आईठी चुरिया, माथे पर बिंदी लगाकर छत्तीसगढ़ महतारी के प्रति अपनी अपार श्रद्धा व प्रेम व्यक्त करती दिखाई दीं। इस दौरान छत्तीसगढ़ी लोकगीत हाय डारा लोर गे हे रे..मउंहा झरे रे मउंहा झरे रे जैसे गानों को सुनकर सभी लोक नृत्य करते हुए अपनी सांस्कृतिक परंपरा के संवाहक बने थे।

गेड़ी वाॅक आकर्षण का केंद्र

कार्यक्रम में नार्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन के सदस्यों ने हिस्सा लिया। इंडिया परेड में गेड़ी वॉक आकर्षण का केंद्र रहा जिसे देख वहाँ मौजूद सभी दर्शकों ने खूब तालियाँ बजाईं। छत्तीसगढ़ के लोग अपने पारंपरिक परिधान में परेड में शामिल हुए और छत्तीसगढ़ के लोक नृत्यों पर आधारित आकर्षक प्रस्तुत दी।

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