chhattisgarh news: जमीन के धंधे में खप रहा सट्टा-जुआ का पैसा
आईपीएल के बाद भी राजधानी में सिर चढकऱ बोल रहा सट्टा-जुआ का नशा
एक गिरोह है जो पॉश कालोनियों के धनाढ्य नौजवानों को नशे का दे रहा धीमा जहर
शौकीनों की फरमाइश पर बड़े-बड़े होटलों में सजती है बावन परियों महफिल
लोगों को कम समय में ज्यादा पैसा कमाने के लालच देकर फंसाने वाले घर पहुंच दो रहे सेवा
रायपुर raipur news। राजधानी में काले कारोबारियों का पैसा जमीन दलाल और बिल्डर उपयोग कर रहे है। जिसके कारण यह धंधा फल-फूल रहा है। सटोरियों के पैसों को तथाकथित भू-माफिया जमीन खरीदी में लगाकर अपने राजनीतिक रसूख का बेजा फायदा उठा रहे है। आईपीएल और महादेव सट्टा का पैसा राजधानी के बिल्डरों अपने धंधे में फंसाया तो कुछ ने राजनीतिक पार्टियों को चुनावी चंदा देकर अपने धंधे को सुरक्षित कर रखा है। आईपीएल क्रिकेट सट्टा के साथ नागपुर -मुंबई वाला रतन खत्री के धंधे को अलग-अलग नामों से संचालित कर रहे है। राजधानी के बिल्डरों के पास बल्क में पैसा कहां से आया और बड़े-बड़े प्रोजेक्ट कैसे लांच कर रहे है जबकि अभी पिछले 6 माह से पूरे देश में रिटल स्टेटे मामले में मंदी का दौर चल रहा है। ऐसे में यह शोध का विषय हो जाता है कि रायपुर के बिल्डरों के पास कहां से पैसा निवेश हो रहा है। chhattisgarh
chhattisgarh news राजधानी में तो सट्टा लिखने वाले घर पहुंच कर सट्टा लिखकर जाते है और दांव लगने पर पैसा पहुंचाते है। राजधानी में हर रोज करोड़ों रुपए के सट्टे पकड़ाते, मगर सटोरियों के सेहत में कोई फर्क नहीं पड़ता । वो तो अपनी कहानी खुद लिखते रहे है। सट्टा आज भी रायपुर शहर के आसपास और दूर बसे पॉश कालोनियों के साथ झुग्गियों के घने बसाहट वाले क्षेत्र में सट्टा बेखौफ चल रहा है। पुलिस प्रशासन आईपीएल सट्टा सीजन के खत्म होने के बाद भी राजधानी में सट्टा का खेल बदस्तूर जारी है। शराब और सट्टे के धंधे को राजधानी के कई नामचीन कारोबारियों और नेताओं ने संरक्षण पूरे प्रदेश में बेखौफ चल रहा है। आईपीएल सीजन के दौरान सटोरियों पर पुलिस ने हर रोज करोड़ों के सट्टे पकड़े। पुलिस ने सटोरियों को कोर्ट में पेश किया और वो जमानत पर छूटते ही फिर से सट्टे के धंधे में जुड़े गए। सट्टा और शराब अब राजधानी की पहचान में शुमार शामिल हो गया है। दूसरे राज्यों में जब किसी मामले में रायपुर का नाम आता है तो कहते है कि वही न जहां शराब और सट्टा का कारोबार मुंबई के ज्यादा ओपन फ्लोर पर चलता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। इसके पीछे ऐसे लोगों के नाम जुड़े है जिसे देश ही नहीं विदेशों में भी जाने जाते है। राजधानी में पुलिस सटोरियों को पकड़ते थक गई है। अब तो सटोरियों उनके हाल पर छोड़ दिया है। सटोरियों ने अपना खुद का एक संट्रोल रूम बना रखा है जिसमें पुलिस की कार्रवाई के सूचना लगातार सटोरियों तक पहुंचते रहती है कि आज पुलिस किन -किन जगहों के सट्टे के अड्डे छापे पड़ेंगे। राजधानी में सख्ती के बाद भी सट्टा और अवैध शराब के धंधा बंद नहीं होने के पीछे राजनीतिक हस्तक्षेप को माना जा रहा है। ।
सट्टा कारोबार तेजी से राजदानी पांव पसार लिया है। कहीं क्रिकेट के नाम पर, तो कहीं चुनावों के नाम पर, लोगों से सट्टा खिलवाया जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक सट्टा कारोबार 3 लाख करोड़ से ज्यादा का है। लॉटरी की बात करें तो कई राज्यों में इस पर प्रतिबंध नहीं है, लेकिन सट्टा हर राज्य में अवैध माना जाता है। बावजूद इसके इस कारोबार पर नकेल नहीं कसी जा सकी है।
राजधानी की बात करें तो यहां भी कई अघोषित सट्टा बाजार हैं, जहां रोजाना कई नंबर खोले जाते हैं। सट्टा बाजार के खिलाफ पुलिस बड़ा अभियान छेड़ा था। मगर वो सिर्फ अभियान बनकर रह गया।
सट्टा भी एक तरह का जुआ ही है
सट्टा और लॉटरी में अंतर मटका और सट्टा, एक तरह का जुआ है। इसमें लोग नंबर पर दांव लगाते हैं। जिनका नंबर खुल जाता है, उसे रुपये मिलते हैं। कहीं राशि दस गुणा करके दी जाती है, वहीं कुछ राज्यों में यह राशि 90 गुणा तक बढ़ाकर दी जाती है। इसके अलावा, अलग-अलग विकल्प भी दिए जाते हैं, जिसमें मुनाफा कम मिलता है, लेकिन 10 गुना लाभ मिलना तय है।
लॉटरी पर भी कई राज्यों में बैन
भारत सरकार ने लॉटरी को रेगुलेशन एक्ट 1988 के तहत मान्यता दी गई है। इसके तहत राज्य सरकार लॉटरी को चला सकती है या उसके द्वारा रजिस्टर्ड डिस्ट्रीब्यूटर भी लॉटरी खिला सकते हैं। पंजाब, केरल, असम, मध्य प्रदेश, सिक्किम, नागालैंड और मेघालय जैसे कई राज्यों में लॉटरी पर बैन नहीं है, लेकिन हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में लॉटरी खिलाने पर भी प्रतिबंध है। लेकिन, सट्टा हर राज्य में प्रतिबंधित है।
सट्टे और लॉटरी के खिलाफ चला था आंदोलन
राजधानी में सट्टे और एक अंक वाली लॉटरी के खिलाफ नब्बे के दशक में बड़ा आंदोलन चलाया गया था। यह आंदोलन बीजेपी नेता ने शुरू किया था। उनके इस आंदोलन के चलते लॉटरी पर प्रतिबंध लगा था। इस आंदोलन के चलते राजनीतिक हस्तियों का सियासी कद भी बढ़ा। देश में सट्टेबाजी गैर-कानूनी है। इसमें जीत-हार की कोई गारंटी नहीं होती है। सट्टा किंग में पैसे लगाना जोखिमों के अधीन है। ऐसे में किसी भी प्रकार के सट्टा या जुआ में रकम लगाने से पहले अपने विवेक का इस्तेमाल करें।