छत्तीसगढ़

10 साल की कमर दर्द की समस्या, 10 रुपए और 10 दिनों में घट गई 90 प्रतिशत तक

Nilmani Pal
11 Oct 2021 11:07 AM GMT
10 साल की कमर दर्द की समस्या, 10 रुपए और 10 दिनों में घट गई 90 प्रतिशत तक
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दुर्ग। सर्जरी आप्शन नहीं चुनना पड़ा, शिरोधारा से कमर दर्द में 70 फीसदी लाभ- कांदबरी नगर के निवासी सागर गोयल आज पंचकर्म केंद्र में शिरोधारा करा रहे थे। बातचीत में उन्होंने बताया कि वे टिंबर व्यवसायी हैं और पिंछले दस सालों से कमर दर्द से पीड़ित हैं। जब गर्दन में भी समस्या शुरू हुई तो एमआरआई कराई। रिपोर्ट में स्लिप डिस्क की समस्या पाई गई। एलोपैथी के छह डाक्टरों से सलाह ली। उन्होंने बताया कि समस्या गंभीर है और राहत केवल सर्जरी से ही संभव है। किसी परिचित ने पंचकर्म केंद्र में जाकर इलाज कराने की सलाह दी। दस रुपए में पर्ची कटाई। अभी दस दिन हो गये हैं। उन्होंने बताया कि गर्दन का दर्द 90 फीसदी जा चुका है। कमर का दर्द लगभग 70 फीसदी तक घट गया है। शासकीय आयुर्वेदिक अस्पताल के प्रभारी डॉ. अमित द्विवेदी ने बताया कि इन्हें चक्रधारा से ट्रीट किया गया।

केस 2-

लकवा हुआ तो पहले दो लोगों के सहारे आती थीं, अब केवल एक के सहारे अस्पताल पहुँच जाती हैं- रेखा देवांगन सर्वांग स्वेदन कराने पंचकर्म केंद्र में आई। उन्होंने बताया कि पहले दो लोगों के सहारे ही चल पाती थी। अब केवल एक का सहारा लगता है। धीरे-धीरे आराम हो रहा है। लकवा के केस में रिकवरी थोड़ी धीमी होती है लेकिन पूरा समय देने पर बहुत अच्छी रिकवरी हो जाती है।

जिला आयुर्वेदिक अस्पताल के पंचकर्म केंद्र से हर दिन 40 मरीज बेहतर स्वास्थ्य का लाभ प्राप्त कर रहे हैं। जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ. हेमलाल पटेल ने बताया कि सितंबर महीने में 624 लोगों ने पंचकर्म कराया। माइग्रेन पेन वगैरह के मामले में कई जगह निराश हुए लोग यहां आये और राहत मिली। इसी तरह साइनस की तकलीफ में भी लोगों को काफी राहत मिली है। उन्होंने बताया कि यहां पंचकर्म के साथ ही दवा भी दी जा रही है। मरीजों को अच्छा लाभ मिल रहा है और इन्हें संजीवनी मिल रही है।

इन मामलों में भी बेहद कारगर- डॉ. जया साहू, पंचकर्म विशेषज्ञ ने बताया कि नसों में ब्लाकेज और पैरों में अचानक सुजन वाले मरीज आते हैं और धीरे-धीरे उनकी समस्या दूर होती है। हायपरटेंशन के मरीजों के लिए भी यह काफी अच्छा है। दशमूल काढ़ा जैसी दवा पंचकर्म के दौरान भी उपयोग होती है और खाने के लिए भी दी जाती है। इस तरह शरीर के सारे जहर बाहर हो जाते हैं। पंचकर्म सेंटर में सहायक सुजाता ने बताया कि जब मरीज पूरी तरह ठीक हो कर घर जाते हैं तो हमें बहुत तसल्ली मिलती है।

किस समय जा सकते हैं क्यों है बेहतर- आयुर्वेदिक अस्पताल में पंचकर्म कराने सुबह 8 बजे से शाम 2 बजे के बीच जा सकते हैं। दवाएं बिल्कुल निःशुल्क हैं। डॉ. अमित द्विवेदी ने बताया कि वात की वजह से नी रिप्लेसमेंट जैसी जरूरतें भी आ सकती हैं, ऐसे मरीजों के लिए भी पंचकर्म से लाभ हो सकता है। इस ट्रीटमेंट को जानुवस्थी कहते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी का घुटना इसी विकार की वजह से बदला गया था।

बाल झड़ रहे हैं तो भी आज जाइये- पंचकर्म केंद्र में अद्भुत जड़ी बूटियों का संसार है और अलग-अलग व्याधियों के मुताबिक दवा का उपयोग होता है। उदाहरण के लिए अगर हेयरफाल हो रहा हो तो शिरोधारा में त्रिफला की धारा का उपयोग होता है। हायपरटेंशन के मामले में धन्वांतर तेल का उपयोग होता है।

वात-पित्त-कफ का असंतुलन ठीक होता है- आयुर्वेद के सबसे पुराने विद्वानों में से एक चरक के अनुसार शरीर में तीन तत्व होते हैं। इन्हें वात, पित्त, कफ कहा जाता है। इनका असंतुलन व्याधि है और इस वजह से शरीर में जहरीले तत्व निकलते हैं जो बीमारी बढ़ाते हैं। पंचकर्म एवं दवाओं के माध्यम से इनका संतुलन बनता है। डॉ. अमित द्विवेदी ने बताया कि पंचकर्म बहुत आसान सिद्धांत पर काम करता है जैसी जिसकी प्रकृति है उसकी विपरीत प्रकृति का उपचार हो। जैसे किसी के शरीर में रूक्ष तत्व हैं तो उसे स्निग्ध तत्व दिये जाते हैं और यहीं से ठीक होने के जादू की शुरूआत होती है और शरीर स्वतः अपने को ठीक करने का काम आरंभ कर देता है।

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