छत्तीसगढ़

तलाक के बाद ससुराल में नहीं रह सकती महिला : हाईकोर्ट

Nilmani Pal
13 Oct 2024 5:07 AM GMT
तलाक के बाद ससुराल में नहीं रह सकती महिला : हाईकोर्ट
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बिलासपुर bilaspur news। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने एक महत्वपूर्ण फैसले में सिंगल बेंच द्वारा जारी अवमानना आदेश को रद्द कर दिया है। यह मामला तलाकशुदा दंपती शैलेश जैकब और मल्लिका बल के बीच विवाद से जुड़ा है, जिसमें पत्नी को ससुराल में अलग कमरे की व्यवस्था न मिलने पर अवमानना की याचिका दायर की गई थी। डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ताओं की अपील स्वीकार करते हुए स्पष्ट किया कि इस परिस्थिति में अदालत के आदेश की कोई अवमानना नहीं हुई है। bilaspur

जरहाभाटा, बिलासपुर निवासी शैलेश जैकब और मल्लिका बल के बीच विवाह के कुछ समय बाद ही मतभेद उत्पन्न हो गए थे, जिसके चलते मल्लिका ने शैलेश की मां, भाई और बहन पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाते हुए मजिस्ट्रेट अदालत में आवेदन किया था, जो खारिज हो गया। इसके बाद सेशन कोर्ट में भी अपील की गई, लेकिन वहां भी आवेदन अस्वीकार कर दिया गया। अंततः मल्लिका बल ने हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन याचिका दाखिल की। इस दौरान शैलेश की मां का निधन हो गया और दोनों का तलाक भी विधिवत रूप से हो गया।

हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने मल्लिका बल की अपील पर सुनवाई करते हुए पति और परिवार के खिलाफ चार्ज फ्रेम कर दिए थे और पत्नी को ससुराल में अलग कमरा देने का निर्देश दिया था। जब पति द्वारा अलग कमरे की व्यवस्था नहीं की गई, तो मल्लिका ने अवमानना याचिका दायर की, जिस पर हाईकोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी किया। इस नोटिस को शैलेश जैकब ने अपने वकील टी. के. झा के माध्यम से डिवीजन बेंच में चुनौती दी। डिवीजन बेंच के जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू और जस्टिस रजनी दुबे ने मामले की सुनवाई करते हुए पाया कि तलाक के बाद दोनों का एक ही घर में साथ रहना संभव नहीं है। इसके साथ ही पति ने बताया था कि जिस मकान में वह रहते हैं वह क्रिश्चियन मिशन की प्रॉपर्टी है। उन्होंने एक किराये के मकान में अलग कमरा देने की भी पेशकश की थी। अदालत ने यह मानते हुए कि आदेश की अवमानना नहीं हुई है, याचिका को निरस्त कर दिया।


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