बिहार

डिजिटल लेनदेन के प्रचलन से बढ़ी साइबर अपराध की घटना

Admin Delhi 1
20 May 2023 8:44 AM GMT
डिजिटल लेनदेन के प्रचलन से बढ़ी साइबर अपराध की घटना
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मुंगेर न्यूज़: एक तरफ देश डिजिटल हो रहा है. वहीं डिजिटलाइजेशन के इस दौर में साइबर क्राइम की घटनाएं भी लगातार सामने आ रही हैं. हाल के दिनों में साइबर अपराध की घटनाएं काफी बढ़ी है. हालांकि जिले में बैंक संबंधी साइबर फ्रॉड की घटनाएं नगण्य हैं. यहां साइबर फ्रॉड के अधिकांश मामले मोबाइल पर आए लिंक को क्लिक करने के बाद बैंक खाता से राशि की निकासी या फिर फेसबुक, इंस्टाग्राम की फेक आईडी बनाकर ब्लैकमेलिंग की है. जिसकी प्राथमिकी पुलिस थानों में पीड़ित द्वारा कराई जाती है.

एसपी कार्यालय में साइबर सेल कार्यरत है. दो दिन पूर्व ही हवेली खड़गपुर थाना में एक महिला ने साइबर फ्राड की प्राथमिकी दर्ज कराई. पीड़ित खड़गपुर के पूर्वी आजिमगंज निवासी महिला ने बताया कि उसके मोबाइल के टेलीग्राम पर एक लिंक आया. उसने उस लिंक को टैग किया इसके बाद उसके बैंक एकाउंट से 1 लाख 20 हजार रुपए की राशि निकल गई.

बायोमिट्रिक में अंगूठा लगाया तो बैंक एकाउंट से राशि निकासी का मैसेज वर्ष 2021 के नवम्बर माह में हुए पंचायत चुनाव में मतदान के लिए बायोमिट्रिक में अंगूठा लगाने पर बैंक एकाउंट से राशि निकासी का मैसेज आया था. दरअसल पंचायत चुनाव में फर्जी वोटिंग रोकने के उद्देश्य से पहली बार बायोमिट्रिक प्रणाली लागू की गई थी. निर्वाचन आयोग द्वारा सभी बूथ पर एक बायोमिट्रिक मशीन के साथ उसे संचालित करने के लिए सीएसपी संचालक को लगाया गया था. लेकिन सदर प्रखंड के चड़ौन बूथ पर सीएसपी संचालक रवि कुमार चुनाव आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए बायोमिट्रिक मशीन के साथ अपना भी बायोमिट्रिक मशीन ले गए थे.

और वोट देने के लिए कतार में खड़े मतदाताओं से दोनों बायोमिट्रिक पर अंगूठा लगवा रहे थे. वोट देने के बाद मतदाता घर वापस गए तो उनके मोबाइल पर बैंक एकाउंट से राशि निकासी का मैसेज आया. जिस जिस मतदाताओं ने दोनों बायोमिट्रिक में अंगूठा लगाया उन सभी के एकाउंट से राशि निकासी हुई थी. इस मामले में सीएसपी संचालक रवि कुमार को गिरफ्तार किया गया था.

ऑनलाइन नहीं होती है एफआईआर, होती है परेशानी

जिले में एक भी साइबर थाना नहीं रहने के कारण साइबर क्राइम के पीड़ित लोग जिले के पुलिस थानों में ही अपनी शिकायत दर्ज कराते हैं. साइबर क्राइम की प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पीड़ित को स्वयं थाना में उपस्थित होकर प्राथमिकी दर्ज करानी पड़ती है. क्योंकि ऑनलाइन शिकायत पर प्राथमिकी पुलिस थानों में नहीं हो पाती है. क्योंकि साइबर अपराध की प्राथमिकी के लिए पीड़ित का हस्ताक्षर जरूरी होता है. पीड़ित द्वारा एफआईआर के बाद पुलिस द्वारा छानबीन शुरू की जाती है.

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