दरभंगा में चिह्नित जमीन पर एम्स बनने के फायदे केंद्र को बताए
पटना न्यूज़: बिहार सरकार ने दरभंगा एम्स के लिए प्रस्तावित जमीन की विधिवत जानकारी केंद्र सरकार को दे दी. स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने दिल्ली में स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण से मिलकर दरभंगा एम्स के लिए प्रस्तावित जमीन का ब्योरा दिया. प्रस्तावित जमीन एम्स के लिए किस तरह उपयोगी और मरीजों के लिए लाभकारी है, इससे संबंधित दस्तावेज भी सौंपे.
राज्य सरकार की ओर से केंद्र को बताया गया कि एम्स के लिए दरभंगा के बलिया मौजा में एकमी-शोभन बाईपास के किनारे 150 एकड़ जमीन चिह्नित की गई है. चूंकि केंद्र सरकार के नियमानुसार किसी भी एम्स के लिए न्यूनतम 150 एकड़ जमीन चाहिए. इसलिए इतनी ही जमीन चिह्नित की गई है. चिह्नित स्थल आमस-दरभंगा फोरलेन से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है. चिह्नित जमीन की अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. विभाग की ओर से दरभंगा के डीएम को अधियाचना भेज दी गई है. विभाग के एक अधिकारी को समन्वयक बनाया गया है.
केंद्र को बताया गया कि डीएमसीएच परिसर में एम्स का निर्माण नामुमकिन है. इसका परिसर छोटा होने के साथ ही यह इलाका अतिव्यस्तम भी है. यहां आने-जाने में लोगों को परेशानी होगी. जबकि डीएमसीएच से अलग एम्स बनने के कई फायदे होंगे. शहर के बाहर एम्स महज पांच किलोमीटर दूरी पर होगी. आमस-दरभंगा फोरलेन से सटे होने के कारण पांच से सात मिनट में वहां आया-जाया जा सकेगा. दूसरा फायदा यह होगा कि दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अगर एम्स बनता तो साधारण अस्पताल की तरह ही होता. अब दोनों विशेष अस्पताल के रूप में होंगे. शहर से बाहर एम्स बनने से उन इलाकों के विकास का रास्ता भी खुलेगा. उत्तर बिहार के दर्जन भर जिले के साथ ही नेपाल के लोग भी यहां इलाज करा सकेंगे. केंद्र को यह भी बताया गया कि पटना में भी एम्स शहर के बाहर ही बना है.