Patna: नई पद्धति से मरीजों के अनुकूल होगा कैंसर का प्रभावी इलाज
पटना: कैंसर उपचार की सीमित पद्धतियों के कारण दो दशक पहले तक कैंसर का उपचार सभी मरीजों के लिए एक समान होता था. परंतु आज कैंसर इलाज की पद्धति इतनी विकसित हो गई है कि हर व्यक्ति के शरीर की क्षमता और बीमारी का आकलन करके उसके अनुसार अलग-अलग उपचार थेरेपी दी जा रही हैं.
इस थेरेपी में आमतौर पर प्रोटीन, रिसेप्टर्स और कैंसर कोशिकाओं में पाई जाने वाली विशिष्ट आनुवंशिक गड़बड़ियों को खोजकर उपचार निर्धारित किया जाता है. आने वाले समय में कैंसर का उपचार और भी सटीक होगा. ये बातें पीजीआई, चंडीगढ़ के डॉ. अश्विनी सूद ने एम्स में आयोजित तीन दिवसीय कैंसर रेडिएशन पर अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन कहीं. श्री साईं इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आयोजन अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह, एम्स पटना की डॉ. प्रीतांजलि सिंह, आईजीआईएमएस के डॉ. दिनेश कुमार सिन्हा, महावीर कैंसर संस्थान की डॉ. ऋचा चौहान समेत देश-विदेश के 200 से ज्यादा डॉक्टर उपस्थित थे.
अमेरिका के वैज्ञानिक ने कहा-कैंसर के इलाज में आयुर्वेद भी होगा प्रभावी सम्मेलन में अमेरिका के मिसौरी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक कत्तेश वी. कत्ती ने कहा कि पहले आयुर्वेद के माध्यम से कई बीमारियों में प्रभावी इलाज होते थे. हालांकि आधुनिक युग में कैंसर के उपचार के लिए इसका उपयोग कम होने लगा है. दुनियाभर के वैज्ञानिकों का मानना है कि आयुर्वेद कैंसर के इलाज में भी प्रभावी हो सकता है.
कई वनस्पतियों से गोल्डन नैनो कण निकाली जा रही है और उसी की उपयोगिता और प्रभाव पर शोध चल रह है. इस संदर्भ में अमेरिका के मिसौरी विश्वविद्यालय में भी शोध चल रहा है. कहा कि आने वाले समय में आयुर्वेद दुनियाभर में एक प्रभावी चिकित्सा पद्धति के रूप में उभरेगा.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से रेडिएशन थेरेपी में आएगी सटीकता डॉ. जेके सिंह
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग रेडिएशन थेरेपी में उपचार की सटीकता और प्रभावशीलता को बढ़ाने में मदद करेगा. एआई और मशीन लर्निंग की मदद से रेडिएशन डोज़ को मरीज की विशेष जरूरतों के अनुसार अनुकूलित किया जा सकता है. इससे केवल ट्यूमर पर प्रभाव पड़ेगा और स्वस्थ ऊतकों को कम से कम नुकसान होगा. ये बातें पद्मश्री डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह ने सम्मेलन में कही. कार्यक्रम के अलग-अलग सत्र की अध्यक्षता जापान के हिरोशिमा विश्वविद्यालय के सतोशी ताशिरो, एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय, नीदरलैंड्स के हांस क्रेजी, एके विश्वविद्यालय के राकेश कुमार सिंह, चेन्नई के एसआरआईएचईआर के पी. वेंकटाचलम, पारस अस्पताल के डॉ. शेखर केसरी आदि ने भी अपनी बातें रखीं.